महाशिवरात्रि के दिन तथा भगवान महादेव के पूजा के अवसर पर सदैव बेलपत्र का प्रयोग किया जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह बेलपत्र क्या होता है और इसका जीवन में क्या महत्व है?
- भगवान महादेव का यह प्रिय बेलपत्र कई औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण होता है। कई वैज्ञानिक मानते हैं कि बेलपत्र में राइबोफ्लेविन,मिनरल, विटामिन ए, विटामिन बी,विटामिन सी, विटामिन B12, पोटेशियम तथा फाइबर भी होते हैं।
- बेल पत्र में कई तरह के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं। माना जाता है कि इसका लेप बनाकर यदि चेहरे पर लगाया जाए तो चेहरे से दाग धब्बे हट जाते हैं तथा अन्य समस्याओं से भी निजात मिलता है। बेल पत्र का जूस बनाकर पीने या पत्ती खाने से हेयर फॉल कंट्रोल में रहता है। बाल में चमक आती है व घने होते हैं।
- डायबिटीज, कोलेस्ट्रॉल व दिल से संबंधित बीमारियों के लिए बेल पत्र का सेवन फायदेमंद होता है।
- यदि किसी व्यक्ति के शरीर से दुर्गंध आती हो और वह व्यक्ति बेलपत्र का लेप अपने बदन पर लगाए तो कुछ समय बाद उसके शरीर से दुर्गंध सदैव के लिए समाप्त हो जाएगी।
- मुंह के छाले ठीक करने के लिए पके हुए बेल के गूदे को पानी में उबाल कर ठंडा कर लें। अब इस पानी से कुल्ला करें।
- बेलपत्र का काढ़ा नियमित पीने से दिल मज़बूत रहता है और हार्ट अटैक की आशंका कम होती है।
- बेल की पत्तियों का रस बनाकर नियमित रूप से जो खुलता है उसे बहुत सारी बीमारियों में आराम मिलता है।
- तेज बुखार होने पर बेलपत्र का काढ़ा पीने से राहत मिलती है।
क्यों चढ़ाए जाते हैं शिवलिंग पर बेलपत्र?
माना जाता है जब देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन हुआ था तो उस समुद्र मंथन से विष निकला था। जिसका सेवन खुद भगवान शंकर ने किया था कई पुस्तकों में ही लिखा गया है कि जब उन्होंने इस विष को पिया तो भगवान शंकर ने इस विष को अपने कंठ में धारण कर लिया था। इसी कारण उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है, लेकिन उनके गले की यह जलन समाप्त नहीं हो रही थी। देवताओं ने उन पर जल की वर्षा की लेकिन उससे भी कोई प्रभाव न पड़ा,फिर उसके बाद बेलपत्र का जब प्रयोग किया गया तो भगवान शिव पर जहर का कम प्रभाव पड़ने लगा। इसी कारणवश बेलपत्र का प्रयोग भगवान शिव की प्रार्थना में किया जाता है।
यह भी कहा जाता है कि एक बार एक भी महाशिवरात्रि के दिन अपने घर नहीं जा सका। उसने वह पूरी रात एक बेलपत्र के पेड़ पर लेट कर बता दी। रात भर उसके हाथों से बेलपत्र टूटकर भगवान शंकर की एक शिवलिंग पर गिरते रहे। जब सुबह उसकी नींद टूटी तो स्वयं भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और भगवान शंकर ने उसे सुख समृद्धि का वरदान दिया। तभी माना जाता है भगवान शंकर को बेलपत्र अति प्रिय है।