दिल्ली के आसपास के कई इलाकों में लगातार किसान प्रदर्शनकारी प्रदर्शन कर रहे हैं। लगातार किसी न किसी बॉर्डर पर यह प्रदर्शनकारी प्रदर्शन करते हैं और 60-70 दिनों से लगातार सभी बॉर्डर को घेर कर बैठे हैं। राजस्थान के स्थानीय लोगों ने शाहजहांपुर बॉर्डर को खाली कराने की मांग की है। बॉर्डर के आसपास के गांव के लोगों ने एक महापंचायत की जिसमें यह फैसला लिया गया कि इन आंदोलनकारी किसानों को तुरंत इस हाईवे से हटा दिया जाए। दिल्ली के सिंधु बॉर्डर पर स्थानीय निवासियों और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच हिंसक झड़प के एक दिन बाद शनिवार को प्रदर्शन स्थल बदलता हुआ दिखाई दिया। गणतंत्र दिवस के दिन हुई घटना अपने निश्चित रूप से इस आंदोलन को पूरी तरह से तोड़ दिया है। मीडिया कर्मियों को इस पूरे आंदोलन की अब कवरेज करने से रोका जा रहा है लगातार स्थानीय प्रदर्शनकारी उन पर भी प्रहार कर रहे हैं।
गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में जो हिंसा हुई उसके बाद कई प्रमुख दलों ने किसान आंदोलन से अपना समर्थन वापस ले लिया है। उन सभी किसान नेताओं का कहना है कि अब इस आंदोलन का कोई अर्थ नहीं रह गया है यह आंदोलन अपने मार्ग से भटक गया है। किसान आंदोलन से अपना समर्थन वापस लेने वाले किसान नेताओं का कहना है कि सरकार भी उनके सामने अदाओं से बात करती है जो उनकी बात मानने को तैयार नहीं है। भानु प्रताप सिंह का कहना है कि हम सरकार के सामने ऐसी मांगे रखते जो सरकार निश्चित रूप से मान लेती लेकिन हमारी मांगों को सामने रखने नहीं दिया गया इसीलिए हम इस आंदोलन से पीछे हट रहे हैं। भानु प्रताप सिंह ने इस आंदोलन से अपना समर्थन वापस लेते हुए कहा था कि हम किसी भी ऐसे आंदोलन का समर्थन नहीं करते जो देश विरोधी हो तथा देश के ही रक्षकों पर बार करें।