सुप्रीम कोर्ट में आज कृषि कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं तथा किसान आंदोलनों से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने तीनों कानूनों पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। इसके अलावा यह भी बताया जा रहा है कि एक कमेटी का भी गठन किया गया है। इस चार सदस्यीय कमेटी में भूपेंद्र सिंह मान भारतीय किसान यूनियन, डॉ प्रमोद कुमार जोशी इंटरनेशनल पॉलिसी हेड, अशोक गुलाटी एग्रीकल्चर इकोनॉमिस्ट तथा अनिल घनवत को शामिल किया गया है। सबसे पहले इस बहस के दौरान पेटीशनर वकील एमएल शर्मा ने कहा सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई जाने वाली कमेटी के सामने पेश होने से किसानों ने इंकार कर दिया है, किसानों का कहना है कि कई लोग चर्चा के लिए आ रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी सामने नहीं आ रहे। इस पर चीफ जस्टिस एसके बोबडे ने कहा प्रधानमंत्री को नहीं बोल सकते ,इस मामले में वे पार्टी नहीं है।
चीफ जस्टिस ने कहा, “हम कानून के अमल को अभी सस्पेंड करना चाहते हैं, लेकिन बुनियादी तौर पर नहीं हमें कमेटी में यकीन है और हम इसे बनाएंगे.. यह कमेटी न्याय प्रक्रिया का हिस्सा होगी, कमेटी इसलिए बनेगी ताकि तस्वीर साफ हो सके और समझ आ सके। हम यह दलील भी नहीं सुनना चाहेंगे कि किसान इस कमेटी के पास नहीं आएंगे। हम मसले का हल चाहते हैं अगर किसान बेमियादी आंदोलन करना चाहते हैं तो करें….जो भी व्यक्ति मसले का हल चाहेगा वह कमेटी के पास जाएगा। कमेटी किसी को सजा नहीं सुनायेगी ना ही कोई आदेश जारी करेगी। वह सिर्फ हमें रिपोर्ट सौंपेगी,यह राजनीति नहीं है राजनीति और न्याय व्यवस्था में फर्क है।” आपको कोपोरेट करना होगा।
एजी बेणुगोपाल ने कहा, ” हम पुष्टि कर सकते हैं हमें 1 दिन का समय दीजिए 26 जनवरी को देश में हाई सिक्योरिटी होती है… एक लाख लोगों को राजनीति में प्रवेश करने की अनुमति का सवाल ही नहीं उठता… उन्हें अपने फायदे के लिए न्यायालय की सहायता नहीं लेनी चाहिए!” इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि ये पुलिस पर छोड़ दिया जाए हम इसपर निर्णय नहीं ले सकते।