समाजवादी पार्टी के कारनामों से कौन परिचित नहीं है? चाहे बूथ कैपचरिंग कराकर प्रदेश में छोटे-छोटे चुनावों को जीतना हो,चाहे नौकरियों में मोटा पैसा खाना हो या फिर एक वर्ग विशेष को अपराधों में खुली छूट दे देना हो। ऐसे कई कारनामे हैं जिनके लिए समाजवादी पार्टी को अनंत काल तक याद किया जाएगा। आप सभी ने कुछ समय पहले समाजवादी पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव का बयान सुना होगा। जिसमें उन्होंने कहा था, “बलात्कारियों से गलती हो जाती है उन्हें माफ कर देना चाहिए!”
वास्तव में यह केवल एक बयान नहीं था यह उनकी पार्टी की वास्तविकता थी। यह वास्तविकता तब सामने आई जब समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व मंत्री आजम खान ने लोकसभा में लोकसभा के स्पीकर के बारे में एक ऐसी टिप्पणी की जो वास्तव में किसी महिला के लिए शोभनीय नहीं है। इसके अलावा उनकी पार्टी की नेता आजम खान ने एक बार अपनी पूर्व प्रत्याशी जयाप्रदा के बारे में भी एक ऐसी ही अभद्र टिप्पणी की थी।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने कहा है कि भाजपा सरकार की कुनीतियों के खिलाफ चल रहे देशव्यापी किसान आंदोलन में समाजवादी पार्टी भी संघर्षरत है।https://t.co/cqzCLV5kMk pic.twitter.com/bCRcdqiKQS
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) December 29, 2020
लेकिन आज अखिलेश यादव की पार्टी का जिक्र इसलिए हो रहा है क्योंकि एक बार फिर अखिलेश यादव ने सिद्ध कर दिया है “बाप एक नंबरी तो बेटा 10 नंबरी ” पिता बलात्कारियों को माफ कराना चाहते थे तो बेटा उपद्रवियों को माफ कराना चाहता है। आज मुनव्वर राना की बेटी ने समाजवादी पार्टी का दामन क्या थामा? समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के हौसले बुलंद हो गए। उन्होंने कह दिया कि अगर हमारी सरकार आएगी तो CAA/NRC दंगों के दौरान जिन अपराधियों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं उनके मुकदमे वापस लिए जाएंगे।
यानी कि जिन लोगों ने प्रदेश की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया, बसों को जलाया, लोगों के खून पसीने की मेहनत को आग में झोंक दिया, समाजवादी पार्टी अगर सत्ता में आएगी तो उनके सभी मुकदमे वापस लेगी और उन्हें सम्मान सहित उनके घर वापस भेज देगी। समाजवादी पार्टी की यही सोच है कि कभी प्रदेश में सरकार बनाने वाली पार्टी आज खत्म होती दिखाई दे रही है।