हमारे देश में कांग्रेस पार्टी ने सर्वाधिक समय तक राज किया है। पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी तथा उसके बाद मनमोहन सिंह, ये वे सभी प्रधानमंत्री हैं जिन्हें भारत की गद्दी पर राज करने का सबसे बड़ा मौका मिला था। आज इसी पार्टी के युवा नेता तथा पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी राष्ट्रपति महोदय से मिलने गए हैं। और उनकी मांग है कि सरकार तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को वापस ले… किसानों के समर्थन में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी भी कानूनों की धज्जियां उड़ाते हुए विजय चौक से राष्ट्रपति भवन तक मार्च निकालना चाहती है। लगातार सरकार को व्यापारियों तथा कंपनी के मालिकों के प्रति वफादार बताने की होड़ मच गई है।
लेकिन अगर वास्तव में इतिहास के परिपेक्ष में देखा जाएगा तो कांग्रेस पार्टी किसानों की वर्तमान दशा की सबसे बड़ी जिम्मेदार है। पी वी नरसिम्हा राव की सरकार से पहले किसानों की दशा को उठाने का कोई भी प्रयास कांग्रेस सरकार द्वारा कभी नहीं किया गया था। अगर हम केवल पिछले 10 सालों की बात करें जब काग्रेंस सरकार में थी तो न जाने कितने किसानों ने कर्ज के तले दबकर आत्महत्या की थी ? यह आंकड़ा भी सबके सामने है!भारत में किसान आत्महत्या 1990 के बाद पैदा हुई स्थिति थी जिसमें प्रतिवर्ष दस हजार से अधिक किसानों के द्वारा आत्महत्या की रिपोर्ट दर्ज की गई थी।
भारतीय कृषि बहुत हद तक मानसून पर निर्भर है तथा मानसून की असफलता के कारण नकदी फसलें नष्ट होना किसानों द्वारा की गई आत्महत्याओं का मुख्य कारण माना जाता रहा है। मानसून की विफलता, सूखा, कीमतों में वृद्धि, ऋण का अत्यधिक बोझ आदि परिस्तिथियां, समस्याओं के एक चक्र की शुरुआत करती हैं। बैंकों, महाजनों, बिचौलियों आदि के चक्र में फंसकर भारत के विभिन्न हिस्सों के किसानों ने आत्महत्याएं की हैं। इन सभी मामलों पर क्या कांग्रेस की किसी भी सरकार ने कोई बड़ा निर्णय लेने का निश्चय किया था? पिछले 20 सालों में भारत में लगभग 63,518किसानों ने आत्महत्या की है।