राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस का लगातार गिरा ग्राफ, राहुल ने किया पार्टी का सर्वनाश

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भारतीय राजनीति एक विशेष प्रकार की राजनीति है। इस राजनीति में बहुत सारे राजनेता है जो अपनी योग्यता के द्वारा स्थापित हुए हैं। लेकिन वही भारतीय राजनीति में बहुत सारे राजनेता ऐसे भी हैं जिनमें राजनेता बनने के गुण नहीं है लेकिन पारिवारिक बैकग्राउंड के कारण वे राजनेता कहलाते हैं। कांग्रेस पार्टी के युवा नेता राहुल गांधी के बारे में कौन नहीं जानता है? राहुल गांधी वर्तमान में लोकसभा के सांसद हैं और कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष भी हैं!.. स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस पार्टी राजीव गांधी के पास गई, राजीव गांधी की मृत्यु के बाद कांग्रेस पार्टी की बागडोर सोनिया गांधी के पास आ गई, और अब कांग्रेस पार्टी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से राहुल गांधी के इशारे पर चलती है। इसीलिए कांग्रेस पार्टी आज वंशवाद की पार्टी बताई जा रही है। भारतीय जनता पार्टी प्रत्येक 3 वर्षों में अपने अध्यक्ष को बदल देती है और सामान्य कार्यकर्ता भी कुछ समय बाद भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बन जाता है। लेकिन भारत के लोकतंत्र पर सर्वाधिक समय तक राज करने वाली पार्टी कांग्रेस अपनी पार्टी के लोकतंत्र को नहीं बचा पा रही है।

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने अपनी एक नई पुस्तक लिखी है जिसका नाम है “अ प्रॉमिस्ड लैंड” इस पुस्तक में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने राहुल गांधी के बारे में भी कुछ पंक्तियां लिखी हैं। राहुल गांधी का जिक्र करते हुए बराक ओबामा लिखते हैं, “उनमें एक ऐसे नर्वस और अपरिपक्व छात्र के गुण हैं, जिसने अपना होमवर्क किया है और टीचर को इम्प्रेस करने की कोशिश में है. लेकिन गहराई से देखें तो योग्यता की कमी है और किसी विषय पर महारत हासिल करने के जुनून की कमी है’….”

वास्तव में बराक ओबामा ने अपनी पुस्तक में राहुल गांधी के बारे में जो भी लिखा है वह सही है। अगर आप कांग्रेस पार्टी के अतीत और वर्तमान के बारे में चर्चा करेंगे तो आपको पता चलेगा कि कांग्रेस आज के हालात में पहुंच चुकी है। लोग रोटी कपड़ा और मकान की बात करना चाहते हैं, लेकिन राहुल गांधी जनता से राफेल की बात करते हैं।

कांग्रेस पार्टी लगातार देश विरोधियों का समर्थन करती है उसके बाद देश के लोगों से यह आस रखती है कि देश के लोग कांग्रेस पार्टी को सत्ता में पहुंपहुचायेंगे! लेकिन कांग्रेस को यह याद रखना चाहिए कि अगर आप उस व्यक्ति के समर्थन में खड़े होंगे जो व्यक्ति चीन के समर्थन से कश्मीर में धारा 370 लगवाना चाहता है तो देश के लोग आपके खिलाफ खड़े हो जाएंगे.. यदि आप उन लोगों के साथ खड़े होंगे जो जम्मू कश्मीर में तिरंगे का अपमान करते हैं तो भारत के लोग आपके खिलाफ खड़े हो जाएंगे… अगर आपको भारत की गद्दी पर काबिज होना है तो राष्ट्रभक्ति दिखानी होगी ना कि राष्ट्र से बगावत करनी होगी।

” भरा नहीं जो भावों से बहती जिसमें रसधार नहीं,
वह हृदय नहीं वह पत्थर है जिसमें स्वदेश का प्यार नहीं!”

अभी कुछ समय पहले ही जम्मू-कश्मीर में गुपकार नाम का एक गठबंधन सामने आया है। जिसमें जम्मू कश्मीर के सभी स्थानीय दल और स्थानीय नेता शामिल है। भारत के गृह मंत्री ने इस मामले पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से सीधे सवाल करते हुए कहा है, “क्या कांग्रेस पार्टी गुपकार गठबंधन में शामिल है या नहीं?” इस मामले पर कांग्रेस की मेन लीडरशिप ने अभी तक कोई भी बयान नहीं दिया है। यानी कि कांग्रेस पार्टी के चाहती है कि जम्मू कश्मीर में फिर 370 धारा लागू हो फिर भारतीय संविधान और भारतीय सेना का अपमान हो। लेकिन कांग्रेस को यह याद नहीं है कि भारत की जनता अब आपके इस छलावे में नहीं आने वाली।

वरिष्ठ नेताओं की भी सुनने को तैयार नहीं कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी की लगातार गिरते हुए ग्राफ को देखकर बहुत सारे लोग कांग्रेस के लिए चिंता जता रहे हैं तथा कांग्रेस की आलोचना भी कर रहे हैं। यह बार-बार कहा जा रहा है यदि कांग्रेस ने अपने नेतृत्व राहुल गांधी को हटाकर किसी उपयुक्त व्यक्ति के हाथों में नहीं सौंपा तो निश्चित रूप से कांग्रेस बहुत जल्द समाप्त हो जाएगी। और यह बात गैर कांग्रेसी नेता नहीं कह रहे हैं अपितु वे कांग्रेसी नेता कह रहे हैं जो कांग्रेस की सरकार में मंत्री हुआ करते थे। गुलाम नबी आजाद ने कुछ समय पहले ही कहा था, “यदि कांग्रेस को 50 सालों तक विपक्ष में बैठना है तो अपने नेतृत्व में परिवर्तन न करें और यदि कांग्रेस को सत्ता में आना है तो अपने नेतृत्व में परिवर्तन करना होगा!”

कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता पी चिदंबरम ने कहा, ” कांग्रेस पार्टी का जमीनी स्तर पर संगठन या तो नदारद है या निष्क्रिय हो चुका है” उन्होंने यह भी कहा, “बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों ने यह संदेश दिया है कि गैर भाजपा संगठन भाजपा के गठबंधन के बराबर वोट पा सकता है पर भाजपा के गठबंधन से सीटों के मामले में आगे निकलने के लिए हमें जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन बनाना होगा। जमीनी स्तर पर पकड़ हो तो छोटी पार्टी भी जीत सकती है यह भाकपा माले और AIMIM ने साबित किया है। “

इससे पहले भी वरिष्ठ वकील और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था, “बिहार और उप चुनावों के नतीजों से ऐसा लग रहा है कि देश की जनता अभी भी कांग्रेस को प्रभावी विकल्प नहीं मान रही है…गुजरात उपचुनाव में हमें एक भी सीट नहीं मिली,लोकसभा चुनाव में भी यही हाल रहा था । उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में कुछ सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों को 2% से भी कम वोट मिले, गुजरात में हमारे तीन प्रत्याशियों की जमानत जप्त हो गई।”

राहुल की नर्वस राजनीति

राहुल गांधी ने अपने भाषण के दौरान खुद को ही एक मजाकिया नेता के तौर पर विकसित किया है…

राहुल गांधी ने एक बार एक जगह प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि राजनीति हर जगह है आपकी कमीज में भी है आपकी पेंट में भी है हर जगह है।

2013 जनवरी में राहुल गांधी ने अपनी पार्टी की असलियत बयान करते हुए कहा था कि कांग्रेस पार्टी भी बड़ी अजीब पार्टी है!..यह दुनिया का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन है लेकिन इसका कोई नियम कायदा नहीं है!.. हम हर 2 मिनट में नियम बनाते हैं और फिर उसे कूड़ेदान में डाल देते हैं.. कोई नहीं जानता इस पार्टी के नियम क्या है? मजेदार संगठन है… कभी-कभी मैं अपने आपसे पूछता हूं भैया यह पार्टी चलती कैसे हैं?

उत्तर प्रदेश के चुनाव के दौरान एक खाट चर्चा में राहुल गांधी ने कहा था मैं विपक्ष में हूं सरकार पर दबाव भी बना सकता हूं जो बना रहा हूं!. लेकिन क्या मैं किसानों के लिए आलू की फैक्ट्री भीनहीं लगा सकता??राहुल गांधी द्वारा दिया गया यह बयान राहुल गांधी के लिए बहुत बड़ा सबक साबित हुआ था।

एक भाषण के दौरान उन्होंने गरीबी का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि गरीबी केवल एक मानसिकता है…. इसका खाने-पीने रुपए और भौतिक चीजों से कोई मतलब नहीं है… अगर कोई व्यक्ति कॉन्फिडेंस लाता है तो गरीबी से उभर सकता है…

कांग्रेस का शिखर से शून्य तक का सफर

जब कांग्रेस को राजस्थान छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश तथा झारखंड में विजय प्राप्त हुई थी तब कांग्रेस पार्टी के नेता तथा कांग्रेस के कार्यकर्ता इस तरह से खुशियां मना रहे थे जैसे उन्हें वर्षों पुराना खोया हुआ राज वापस मिल गया.. लेकिन अगर आप कांग्रेस पार्टी की भविष्य और वर्तमान पर चर्चा करेंगे तो आपको पता चलेगा कि कांग्रेस पार्टी आज किस हद तक पहुंच गई है… कांग्रेस पार्टी की इज्जत केवल लोकसभा चुनावों में केरल पंजाब और तमिलनाडु तक सीमित रही.. कांग्रेस पार्टी केरल में 15 पंजाब में 8 और तमिलनाडु में 8 सीटें जीतने में कामयाब हुई….

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर,हिमाचल,प्रदेश,उत्तराखंड हरियाणा,दिल्ली,राजस्थान, गुजरात,आंध्र प्रदेश,सिक्किम अरुणाचल प्रदेश,मणिपुर,मिजोरम,नागालैंड,त्रिपुरा चंडीगढ़ सहित 14 राज्यों में तो कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला था…. इस समय राज्यसभा में कांग्रेस के सदस्यों की संख्या घटकर मात्र 46 रह गई है.… 2014 में कांग्रेस पार्टी की जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश उत्तराखंड,हरियाणा,दिल्ली,महाराष्ट्र,गोवा,कर्नाटक,केरल झारखंड,असम,मेघालय,मणिपुर,नागालैंड,अरुणाचल प्रदेश मिजोरम सहित भारत के कुल 16 राज्यों में सरकार थी… लेकिन कांग्रेस के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में अब कांग्रेस के हाथ से भारत का पूरा नक्शा खिसकता हुआ दिखाई दे रहा है।

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस, झारखंड में झारखंड मुक्ति मोर्चा, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी तथा वामपंथी दलों के सहारे अपना अस्तित्व को क्षति हुई कांग्रेस आज अपनी जमीन भी खो चुकी है…

कांग्रेस पार्टी ने जब उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया था तो समाजवादी पार्टी को भी अपनी तरह शिखर से शून्य पर लाकर खड़ा कर दिया था… इसके बाद लोकसभा चुनावों में जब महागठबंधन बना और उस महागठबंधन में समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी और आरएलडी शामिल था… तब कांग्रेस को इस महा गठबंधन में जगह नहीं मिली कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में लोकसभा का चुनाव अकेले लड़ा और अपनी परंपरागत सीट अमेठी भी गवा दी….

दुविधा में दोनों गए माया मिली न राम

कांग्रेस पार्टी का भविष्य इस समय पूरी तरह खतरे में आ चुका है।यदि कांग्रेस पार्टी ने अपनी जमीनी हकीकत को नहीं देखा अपने नेतृत्व में परिवर्तन नहीं किया,अपने कार्यकर्ताओं को नेता बनाने की कोशिश नहीं की तो निश्चित रूप से कांग्रेस पार्टी बहुत जल्द राष्ट्रीय पार्टी के दर्जे को खो देगी।भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेता नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री नहीं थे और चुनाव कैंपेन की शुरुआत हुई थी तो यह नारा जोर-शोर से लगाया जाता था कि हम कांग्रेस मुक्त भारत बनाना चाहते हैं और वास्तव में अगर कांग्रेस पार्टी अपनी नीतियों को नहीं छोड़ेगी तो भारतीय जनता पार्टी बहुत जल्दी कांग्रेस से उनके शासित प्रदेश छीन कर कांग्रेस पार्टी से राष्ट्रीय पार्टी होने का दर्जा भी छीन लेगी।

कांग्रेस पार्टी के दो युवा नेता पार्टी से पहले ही बगावत कर चुके हैं।एक मध्यप्रदेश के ज्योतिरादित्य सिंधिया जो अब भारतीय जनता पार्टी के नेता हैं और दूसरे सचिन पायलट जिन्होंने पार्टी से पहले बगावत कर दी थी। इन दोनों घटनाओं से यह सिद्ध हो गया था कि पार्टी में केवल राहुल या प्रियंका गांधी के नेतृत्व को स्वीकार करने की क्षमता है। बाकी किसी भी कार्यकर्ता के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी कार्य करने को तैयार नहीं है। यही भारत के लोकतंत्र के लिए एक बड़ा खतरा साबित हो रहा है क्योंकि भारत के पास एक उपयुक्त विपक्ष नहीं है तो सत्ता से सवाल किया अभी कैसे जा सकता है? यदि कांग्रेस को अपना भविष्य सुरक्षित रखना है तो अपने नेतृत्व में बदलाव करना होगा और राहुल गांधी को भी अपनी सूझबूझ दिखाते हुए पार्टी को उन हाथों में सौंपना होगा जो पार्टी को आगे ले जा सकते हैं। अन्यथा हम सभी जानते हैं कि एक कमजोर विपक्ष एक कमजोर लोकतंत्र की निशानी होता है। अगर भारत का विपक्ष मजबूत नहीं होगा तो भारत की सत्ता निरंकुश हो जाएगी और जब सत्ताएं निरंकुश हो जाती हैं तो उन्हें रोकने की ताकत किसी में नहीं होती।

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