भारत के दबाव ने बदले पाकिस्तान के स्वर, बोला, “धार्मिक परंपरा का पालन होता रहेगा”

पाकिस्तान द्वारा करतारपुर साहिब गुरुद्वारे क्या प्रबंधन एक सिख कमेटी से लेकर मुस्लिम कमेटी को देने के बाद भारत ने पाकिस्तान का विरोध किया था। अब पाकिस्तान की ओर से यह कहा गया है कि करतारपुर साहिब गुरुद्वारे की धार्मिक परंपराओं को सुचारू रूप से संचालित किया जाता रहेगा।

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करतारपुर साहिब मामले के द्वारा अब पाकिस्तान का दौरा चरित्र पूरी दुनिया के सामने आ चुका है। पाकिस्तान ने भारतीय मिशन प्रभारी को शुक्रवार को विदेश मंत्रालय तलब कर अवगत कराया कि पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी पीएसजी पीसी के पास करतारपुर साहिब समेत देश में बने सभी गुरुद्वारों में धार्मिक परंपरा के पालन की जिम्मेदारी बनी रहेगी। इससे ठीक एक दिन पहले करतारपुर साहिब गुरुद्वारा का प्रबंधन एक सिख संस्था से लेकर अलग ट्रस्ट बनाने पर पाकिस्तान के फैसले को भारत ने अत्यंत निंदनीय बताया था और यह कहा था कि यह सिख समुदाय की भावनाओं के साथ खिलवाड़ है। हम आपको बता दे पाकिस्तान ने करतारपुर साहिब गुरुद्वारे का प्रबंधन सिख संस्था से लेकर एक ऐसी संस्था को दे दिया था जिसमें एक भी सिख मौजूद नहीं है। पाकिस्तान के विलेज विभाग के मुताबिक यह रेखांकित किया गया है किस सिख रहत मर्यादा के तहत PSGPC के पास करतारपुर समेत गुरुद्वारा साहिब में धार्मिक अनुष्ठान के पालन की सारी जिम्मेदारियां बनी रहेंगी। विदेश विभाग ने यह भी कहा है कि गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर के मामलों का PSGPC से पीएमयू को स्थानांतरित करने के संबंध में किसी भी तरह का आक्षेप तथ्यों के विपरीत है और यह ऐतिहासिक पहल की भावना के खिलाफ है।

हम आपको बता दें जानकारी के अनुसार प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट का सीईओ मोहम्मद तारिक खान को बनाया गया है। पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी किए गए इस नए आदेश में बिजनेस प्लान का भी जिक्र किया गया है। इमरान खान सरकार अब गुरुद्वारे से भी पैसे कमाने की कोशिश कर रही है।

करतारपुर गुरुद्वारे का प्रबंधन सिख समुदाय से छीन कर मुस्लिम कमेटी को देने वाला यह फैसला निश्चित रूप से सिखों के लिए बेहद निराशाजनक है और इससे यह बात पता चल चुकी है किस तरह से पाकिस्तान में केवल एक धर्म विशेष को सम्मान मिलता है? बाकी धर्मों का पाकिस्तान में कोई सम्मान नहीं है। ऐसा पहली बार नहीं है कि पाकिस्तान ने सिखों की भावनाओं से खिलवाड़ करने की कोशिश की वह इससे पहले भी ऐसे कारनामे पाकिस्तान में हुए हैं। सिख संप्रदाय की भावनाओं का ख्याल रखना प्रत्येक देश की जिम्मेदारी है।

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