उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए हत्याकांड और दुष्कर्म मामले को लेकर लगातार उत्तर प्रदेश सरकार की बदनामी की साजिश रची गई हैं। पहले इस मामले में कुछ देशों के नाम सामने आए और उसके बाद पीएफआई जैसे संगठन का नाम भी इस मामले में पुलिस की खुफिया एजेंसियों ने लिया। अब उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम करने के मामले में खुफिया एजेंसियों ने एक बड़ा खुलासा करते हुए कहां है कि उत्तर प्रदेश सरकार को बदनाम करने के लिए तथा हाथरस कांड में भ्रम फैलाने के लिए कई ट्वीट पाकिस्तान और मध्य एशिया के टि्वटर हैंडल से भी किए गए थे। जिसका उद्देश्य निश्चित रूप से सरकार को बदनाम करना तथा प्रदेश में अराजकता फैलाना था। अब इस मामले में उत्तर प्रदेश की पुलिस तथा खुफिया एजेंसियां पड़ताल भी कर रही हैं।
इससे पहले खुफिया एजेंसियों ने यह भी खुलासा किया था कि उत्तर प्रदेश की व्यवस्था को बिगाड़ने के लिए तथा उत्तर प्रदेश में जातीय हिंसा फैलाने के लिए विदेशी देशों से भी फंडिंग हुई है। जस्टिस फॉर हाथरस नाम से वेबसाइट बनाकर देश और प्रदेश में नफरत फैलाने की कोशिश की गई थी। सोशल मीडिया पर हाथरस में हुई घटना को गलत तरीके से पेश किया गया। पीड़िता की जीभ काट ली गई थी तथा उसके हाथ पैर काट दिए गए थे इस प्रकार के तथ्य सोशल मीडिया पर बहुत तेजी से वायरल हुए थे, जबकि पड़ताल में यह सभी तत्व पूरी तरह से गलत साबित हुए हैं। अब इस मामले में लखनऊ हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के डीजीपी और प्रमुख गृह सचिव सहित कई प्रमुख अधिकारियों को तलब किया है। साथ ही पीड़ित परिवार को भी अपना बयान दर्ज कराने के लिए 12 अक्टूबर को बुलाया है।