उत्तर प्रदेश को लोग जंगलराज कहकर संबोधित कर रहे हैं लेकिन वही राजस्थान के लिए कोई भी व्यक्ति सवाल नहीं उठा रहा। खुद प्रियंका गांधी ने भी राजस्थान में हुई उस दर्दनाक घटना पर एक सवाल भी नहीं उठाया, जो हाथरस में जाकर आंसू बहा रही थी। 46 घंटे बाद पुजारी का अंतिम संस्कार किया गया। परिजनों ने 50 लाख का मुआवजा तथा एक सदस्य को नौकरी की मांग की थी। हालांकि राज्य सरकार ने 10 लाख मुआवजा तथा एक सदस्य को संविदा पर नौकरी देकर जख्म पर मरहम लगाने की कोशिश तो की, लेकिन पुजारी को जिंदा जलाने वाले अपराधी अभी तक खुले घूम रहे हैं। पुजारी की मृत्यु पर जयपुर से लेकर दिल्ली तक सियासत की जा रही है। जिस जमीन को लेकर पुजारी पर हमला हुआ था वह राजस्व के रिकॉर्ड में मंदिर माफी में दर्द है, जमीन पर कब्जा करने की कोशिश की शिकायत को जारी की थी। इसके बाद गांव के 100 घरों की बैठक हुई जिसमें पंचों ने पुजारी का समर्थन किया लेकिन पटवारी बनवारी लाल ने राजस्व अधिकारियों को सूचना नहीं दी।
लेकिन सवाल यही है कि क्या मुआवजा देने से पुजारी वापस आ सकता है? क्या मुआवजा देने से राजस्थान का जंगलराज समाप्त हो जाएगा? और जो लोग कल तक हाथरस में बेटी के लिए न्याय मांग रहे थे, वे लोग आज राजस्थान की घटना पर क्यों खामोश हैं? क्या जाति देखकर न्याय मांगा जाएगा? हम आपको बता दें बुधवार को 50 वर्ष के पुजारी बाबू लाल वैष्णव को मंदिर माफी की जमीन कब्जाने के लिए गांव के कैलाश मीणा ने 7 दबंगों के साथ मिलकर जिंदा जला दिया था। और हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी।