हाथरस मामले की सीबीआई जांच के लिए योगी सरकार ने केंद्र को सिफारिश भेज दी है। गैंगरेप मामले की हाई लेवल जांच को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई। यूपी सरकार ने कोर्ट में फॉरेंसिक रिपोर्ट सौंपी, जिसमें रेप के सबूत न मिलने का जिक्र हुआ। वहीं चीफ जस्टिस ने का हाथरस की घटना भयानक को चौंकाने वाली थी। हम नहीं जानते कि बार-बार दलीले दोहराई जाएं !.आपको इसलिए सुन रहे हैं क्योंकि यह असाधारण मामला है।
कोर्ट ने यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा कि पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए क्या इंतजाम किए गए हैं? एफिडेविट देकर बताएं इस मामले में अब अगले हफ्ते सुनवाई होगी। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार से तीन प्रमुख सवाल पूछे जो कि निम्न है
पीड़ित परिवार और गवाहों की सुरक्षा के लिए क्या कर रहे हैं?
क्या पीड़ित परिवार के लिए वकील चुन लिया गया है?
क्या इलाहाबाद हाई कोर्ट की कार्रवाई से इस केस का दायरा बढ़ सकता है?
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में एक एफिडेविट दाखिल किया था जिसमें कहा गया स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के लिए सीबीआई जांच के आदेश दिए जाएं। सुप्रीम कोर्ट को खुद भी सीबीआई जांच की निगरानी करनी चाहिए। पीड़ित का अंतिम संस्कार रात में इसलिए किया गया क्योंकि दिन में हिंसा भड़कने की आशंका थी, इंटेलिजेंस रिपोर्ट मिला था कि इस मामले को जातिवाद का मुद्दा बनाया जा रहा है और पीड़ित के अंतिम संस्कार में लाखों प्रदर्शनकारी जमा हो सकते हैं। एफिडेविट में यह भी बताया गया कि हाथरस मामले में सरकार को बदनाम करने के लिए नफरत भरा कैंपेन चलाया गया। अब तक की जांच में पता चला है कि कुछ लोग अपने हितों के लिए निष्पक्ष जांच को प्रभावित भी करना चाहते थे।
वहीं यूपी सरकार की तरफ से बनाई गई एसआईटी ने पीड़ित के गांव वारदात वाली जगह का जायजा लिया। एसआईटी बुधवार को अपनी रिपोर्ट सौंपी गई इस मामले में हाई लेवल जांच की अर्जी लगाने वाले सोशल एक्टिविस्ट सत्यम, वकील विशाल ठाकरे और रुद्र प्रताप यादव ने अपील की है कि इस जांच में सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड या मौजूद जज़ या फिर हाई कोर्ट जज के द्वारा कार्रवाई कराई जाए।