नवजोत सिंह सिद्धू का पूरा हुआ अज्ञातवास, सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए सरकार का किया विरोध

पूर्व भारतीय जनता पार्टी नेता और कांग्रेस के पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू काफी लंबे समय के बाद आज पहली बार सड़कों पर कृषि सुधार विधेयकों का विरोध करते हुए दिखाई दिए।

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भारतीय राजनीति में प्रत्येक समय प्रत्येक नेता के लिए उपयुक्त नहीं होता है। कभी कभी ऐसा देखा जाता है कि जिस राजनेता के सामने कोई व्यक्ति टिक नहीं पाता वहीं राजनेता समय के चक्र के कारण अपने व्यक्तित्व को खो देता है और उसकी राजनीति में पहुंच बहुत कम रह जाती है। एक ऐसा ही नाम है नवजोत सिंह सिद्धू जो कभी भारतीय जनता पार्टी में हुआ करते थे तो भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख चेहरों में आया करते थे, लेकिन अपनी उन्होंने महत्वाकांक्षाओं के कारण  भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर कांग्रेस को ज्वाइन किया और ज्वाइन करते ही उन्हें मंत्री बना दिया गया। हालांकि उनका मंत्री पद बहुत दिनों तक नहीं टिका, मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के सामने उनकी एक नहीं चली और उन्हें कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा।

आज पहली बार नवजोत सिंह सिद्धू सड़कों पर हो रहे कृषि सुधार विधेयकों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।  जहां उन्होंने सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाते हुए सरकार पर निशाना साधा। इस कार्यक्रम में नवजोत सिंह सिद्धू के मुंह पर मास्क लगा हुआ नहीं दिखाई दिया। वही चारों और भीड़ का जमावड़ा इस बात को प्रदर्शित करता है कि किस तरह से कांग्रेस पार्टी अपनी और लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने का काम कर रही है? इस दौरान न तो प्रत्येक व्यक्ति के बीच में कोई दूरी थी और ना ही किसी प्रकार की सोशल डिस्टेंसिंग। नवजोत सिंह सिद्धू ने दो दिन पहले ही प्रदर्शन करने और धरना देने की घोषणा की थी। जिसके बाद प्रदर्शन में अच्छी खासी भीड़ एकत्रित हो गई। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से तकरार के बाद नवजोत सिंह सिद्धू राजनीतिक एकांतवास में चले गए थे लेकिन अचानक उनका अज्ञातवास पूरा हो गया।

कोरोना संक्रमण के बीच नवजोत सिंह सिद्धू की यह रैली निश्चित रूप से विवाद है। भारत की सरकार  कोरोना से बचने के लिए लोगों को घर में रहने की सलाह दे रही है। ऐसे में नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा इतने सारे लोगों को एक जगह एकत्रित करके, आंदोलन कराना, केवल एक राजनीतिक स्टंट हो सकता है। लेकिन अगर यह राजनीतिक स्टंट लोगों के स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है तो इसका जिम्मेदार कौन होगा? इस कार्यक्रम का आयोजन भी सौरभ मिट्ठू मदान ने किया था। यह वही मिट्ठू मदान है जिन्होंने 2018 में जोड़ाफाटक के पास दशहरा पर्व कार्यक्रम का आयोजन किया था और उसी रात ट्रेन से कुचलकर 63 लोगों की मृत्यु हो गई थी।

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