भारतीय राजनीति के शिखर पर पहुंचने वाले अटल बिहारी बाजपेयी। 16 अगस्त 2018 को इस दुनिया को अलविदा कह कर चले गए थे। परंतु अटल बिहारी वाजपेई के पीछे रह गई उनकी यादें उनकी कविताएं, उनके राजनैतिक किस्से और उनके व्यक्तित्व की महानता!
पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेई और नरेंद्र मोदी के रिश्तो की बुनियाद सम्मान और प्रेम से भरी हुई है। जब भी नरेंद्र मोदी को अटल बिहारी जी की तबीयत खराब होने की सूचना मिलती थी तब अटल जी को देखने नरेंद्र मोदी तुरंत पहुंच जाया करते थे। सोशल मीडिया पर ऐसी बहुत सी तस्वीरें और वीडियो हैं जिनके द्वारा अटल और मोदी जी के रिश्तो के बारे में जाना जा सकता है। जब भी अटल जी और नरेंद्र मोदी के बीच कोई बात हुआ करती थी तब बात समाप्त होने के बाद अटल जी नरेंद्र मोदी की बड़े भाई की तरह पीठ थपथपाते थे।
नरेंद्र मोदी का अटल बिहारी जी के लिए समर्पण
नरेंद्र मोदी अटल बिहारी वाजपेई के बीच के रिश्तो का अनुमान आप इसी बात से लगा सकते हैं कि अटल जी के ना होने पर भी नरेंद्र मोदी ने उनकी स्मृति में न जाने कितनी योजनाओं को लागू किया है।
अटल जी को समर्पित कुछ योजनाएं:
1. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के 95 वें जन्मदिवस पर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में उनकी 25 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण किया गया।
2. अटल भूजल योजना के तहत 8350 गांव को लाभ पहुंचाया गया। इस योजना के तहत उत्तर प्रदेश मध्य प्रदेश हरियाणा गुजरात महाराष्ट्र राजस्थान और कर्नाटक जैसे प्रदेशों के किसानों की आय को दोगुना करने का प्रयास किया गया।
3. 4000 करोड रुपए की लागत से अटल टनल नामक सुरंग बनाने का फैसला किया गया। इस चैनल के द्वारा मनाली से लेह की दूरी 46 किलोमीटर कम हो गई।
4. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के नाम पर अटल ज्योति योजना की शुरुआत की गई। यह योजना बिजली की समस्या से प्रदेश को उबारने के लिए शुरू हुई।
5. बुढ़ापे में आर्थिक तंगी झेलने वाले वृद्धों के लिए अटल पेंशन योजना का तोहफा भी मोदी सरकार ने दिया।
6. प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अटल आयुष्मान योजना की शुरुआत की योजना के अंतर्गत 5 लाख तक की निशुल्क चिकित्सा सुविधा दी जाती है।
गुजरात दंगों के समय अटल जी हुए थे नरेंद्र मोदी से नाराज
यह माना जाता है कि 2002 में जब गुजरात में दंगे हुए थे तब अटल बिहारी बाजपेयी तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी से नाराज थे। कुछ मीडिया के लोग तो यह भी बताते हैं कि अटल बिहारी वाजपेई यह चाहते थे कि नरेंद्र मोदी को गुजरात के मुख्यमंत्री से हटा दिया जाए और उनके स्थान पर किसी अन्य व्यक्ति को गुजरात का मुख्यमंत्री बनाया जाए। यह भी कहा जाता है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को जीवन दान देने में सबसे बड़ा हाथ लालकृष्ण आडवाणी का है। जब अटल बिहारी वाजपेयी गुजरात के मुख्यमंत्री से नाराज थे, तब लालकृष्ण आडवाणी उनकी ढाल बनकर खड़े हो गए थे। इसमें कितना सच है कितना असत्य यह तो हम नहीं कह सकते? लेकिन अगर हम पूरे घटनाक्रम पर ध्यान दें तो यह पता चल सकता है कि इस बात में कितनी सच्चाई है?
अटल बिहारी वाजपेयी एक खुले मन के व्यक्ति थे, जो उनके मन के भीतर होता था वहीं उनकी शारीरिक या मानसिक क्रियाएं बता देती थीं। अगर अटल जी किसी व्यक्ति से दुखी होते थे तो वे उस व्यक्ति के सामने भी उसी मन से आते थे।
गुजरात दंगों के बाद हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस
जिस घटना के कारण यह कहा जाता है कि अटल जी और नरेंद्र मोदी के बीच दूरियां हो गई थीं वह घटनाक्रम था 2002 के दंगों के बाद हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में अटल बिहारी वाजपेई और नरेंद्र मोदी साथ-साथ बैठे थे जब एक पत्रकार ने अटल बिहारी वाजपेई से पूछा था कि आप नरेंद्र मोदी से क्या कहना चाहेंगे तब उन्होंने कहा था मैं मुख्यमंत्री से कहना चाहूंगा, ” वे राजधर्म का पालन करें !” इसी बीच मोदी जी भी यह कह रहे थे, “साहब हम तो राजधर्म का पालन ही कर रहे हैं।”
मोदी के ह्रदय में आज भी है अटल जी के लिए सम्मान
अटल बिहारी वाजपेई जी के लिए प्रधानमंत्री मोदी जी के मन में आज भी उतना ही स्थान है जितना उनके जीवित रहने पर हुआ करता था। आजादी के बाद शायद ही किसी प्रधानमंत्री की शव यात्रा इतनी विचित्र और इतनी अद्भुत रही होगी कि उसमें सारे मंत्री सारे पार्टी के लोग और देश का प्रधानमंत्री कई किलोमीटर तक पैदल चला हो। यह निश्चित रूप से प्रधानमंत्री मोदी का वाजपेई के प्रति सम्मान को दर्शाता है।
वास्तव में भारतीय संस्कृति में मृत्यु की कल्पना को अमंगल माना जाता है। लेकिन यदि आपको अपने वर्तमान के बारे में जानना है तो आप यह जानिए कि आपकी मृत्यु के पश्चात लोग आपके बारे में क्या कहेंगे? अटल जी के जाने के बाद पूरा देश यही कहता है, “अटल बिहारी वाजपेई जैसा नेता सदियों में कोई एक होता है!”