26 नवंबर 2008, एक ऐसा काला दिन जब मुंबई की सड़कों पर हुआ मौत का तांडव

0
639

मुंबई में आतंकी हमले को अब 12 साल बीत चुके हैं लेकिन आज भी बहुत सारे लोग उस खौफनाक मंजर को भूल नहीं पा रहे हैं। यह एक ऐसा आतंकी हमला था जिसके बाद पूरा देश सेहम चुका था। मुंबई शहर में हर तरफ दहशत और मौत का माहौल था, वहीं पूरे देश के लोग डर के मारे अपने घरों में छुप गए थे। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने किया था । इस हमले में करीब 166 बेगुनाह लोगों की जान गई थी। उस दिन मुंबई की सड़कों पर  ऐसा मौत का तांडव हुआ जो आज तक कभी नहीं देखा गया।

खून में तरबतर हो चुकी थी मुंबई की सड़कें

26 नवंबर 2008 की शाम को मुंबई हर शाम की तरह आनंद में थी। अचानक शहर के एक हिस्से में गोलियां चलने की आवाज सुनाई दी। आतंकियों ने फिर अपना आतंकी तांडव शुरू किया जिसकी शुरुआत लियोपोल्ड कैफे और छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से हुई। सबसे पहले तो लोगों को यह पता ही नहीं चला कि यह हमला इतना बड़ा हो सकता है। लेकिन धीरे-धीरे मुंबई के अलग-अलग हिस्सों से धमाके की आवाजें आने लगी, जगह जगह पर गोलियां चलने लगी और आधी रात होते-होते पूरा मुंबई गोलियों और धमाकों की आवाज से गूंज उठा।

मुंबई ने देखा उस दिन बेगुनाह लोगों की मौत का मंजर

आतंकी हमला मुंबई के सबसे व्यस्ततम रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर शुरू हुआ। यहां मौजूद किसी भी यात्री को यह पता नहीं था कि यह शाम उनके लिए आखिरी शाम होने वाली है। 2 आतंकी इस स्टेशन पर पहुंचे और खूब फायरिंग की तथा ग्रेनेट फेंके इस पूरी अफरा-तफरी में करीब 58 बेगुनाह यात्रियों की मौत हो गई। कई लोग घायल भी हो गए। इस स्टेशन पर हुई आतंकी घटना को अजमल आमिर कसाब और इस्माइल खान नाम के आतंकवादियों ने अंजाम दिया।

छत्रपति शिवाजी टर्मिनस स्टेशन के अलावा आतंकियों ने ताज होटल, ओबेरॉय होटल,लियोपोल्ड कैफे, कामा अस्पताल और दक्षिण मुंबई के कई प्रमुख स्थानों पर हमला शुरू कर दिया।आधी रात होते-होते मुंबई में कई हमले हो चुके थे। शहर में चारों जगह मुठभेड़ चल रही थी पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बल भी मुंबई में उतर चुके थे ।धमाके इतनी जगह हो रहे थे कि यह अंदाजा ही नहीं लगाया जा पा रहा था कि मुंबई में कितने आतंकी आ चुके हैं?

भारतीय जवानों ने लगाई अपनी जान की बाजी

इस हमले को नाकाम करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 200 एनएसजी कमांडो तथा सेना के 50 कमांडो ऑपरेशन में शामिल किए गए। वही लगभग 5 टुकड़ियों को भी मुंबई भेजा गया। इस पूरी घटना में आतंकवादियों ने 8 पुलिसकर्मियों को अपनी गोली का निशाना बनाया और उन्हें शहीद कर दिया। ताज होटल में करीब 6 धमाके किए गए इनमें से एक लॉबी में दो एलीवेटर्स पर और तीन रेस्टोरेंट में। इसके अलावा रात अग्निशमन के अधिकारियों ने करीब 200 बंदी लोगों को वहां से निकाल लिया। इस हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद को बताया जाता है।

अपनी लाशें बिछा नींव में ऊपर हिंदुस्तान रखा

कभी किसी शायर ने कहा था, “जिंदा रहने के मौसम बहुत है मगर, जान देने की रुत रोज आती नहीं!” वास्तव में मुंबई हमले के दौरान हमारे देश के सैनिकों ने मुंबई पुलिस के जवानों ने अपनी कुर्बानी देकर भारत की और मुंबई की सुरक्षा की थी। हम आपको बता दें इस आतंकी हमले को नाकाम करने में मुंबई एटीएस और एनएसजी के 11 जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। इनमें एटीएस के प्रमुख हेमंत करकरे, एसीपी अशोक कामटे, एसीपी सदानंद दाते, एनएसजी कमांडो मेजर संदीप उन्नीकृष्णन, एनकाउंटर स्पेशलिस्ट एआई विजय सालसकर, एएसआई नानासाहब भोसले, एएसआई तुकाराम ओंबले, कॉन्स्टेबल विजय खांडेकर, जसवंत पाटिल, योगेश पाटिल, अंबादोस पवार और एमसी चौधरी शामिल थे। इस आतंकी हमले के दौरान मुंबई में आतंकवादियों ने पुलिस की एक वैन को अगवा कर लिया था वे उस में घूमते हुए सड़कों पर गोली बरसा रहे थे। इसी दौरान एक टीवी चैनल के कैमरामैन को भी हाथ में गोली लगी थी।

“हमने लौटाए सिकंदर सर झुकाए मात खाये,
हमसे भिड़ते हैं वो जिनका मन धरा से भर गया है!…”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here