साल 2019 यूं तो कई चीजों के लिए याद किया जाएगा लेकिन अगर बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की करें तो 2019 उनके लिए सबसे यादगार रहा। पिछले साल नरेंद्र मोदी लगातार दूसरी बार 303 सीटें जीतकर सत्ता में काबिज हुए। सत्ता में आते ही उन्होने एक के बाद एक ऐतिहासिक फैसलें लिए जिनकी तारीफ किए बिना विपक्ष भी नहीं रुका। राम मंदिर निर्माण, तीन तालाक, एयर स्ट्राइक, धारा 370 उन फैसलों में से एक रहा। हालांकि पिछले साल आर्थिक मोर्चे पर भले ही मोदी सरकार (Modi Government) विफल रही हो लेकिन कुछ ऐतिहासिक फैसलों ने उन्हें विश्व का दिग्गज राजनेता साबित किया।
वहीं 2020 की बात करें तो अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने और भी कठिन चुनौतियां आने वाली हैं। सीएए और एनआरसी को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। दूसरी तरफ कई राज्यों में विधानसभा चुनावों का बिगुल बजने वाला है। ऐसे में 2020 पीएम मोदी के सामने कई चुनौतियां लेकर आने वाला है।
सियासी ताज बचाने की चुनौती
लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार का सबसे बड़ा चेहरा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हाई होते हैं। जिनके दम पर पिछले 2 चुनावों में भाजपा ने जीत हासिल की है। लेकिन दूसरी तरफ राज्यों में विधानसभा चुनावों के दौरान पार्टी की पोल खुलती दिखाई दे रही है। पिछले साल भाजपा के हाथों से महाराष्ट्र और झारखंड राज्य फिसल गया जबकि 2020 में दिल्ली और बिहार जैसे महत्वपूर्ण राज्य में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कंधों पर होगी। इन दोनों ही राज्यों में भाजपा का सत्ता में आना बेहद ही जरूरी है।
अर्थव्यवस्था को देनी होगी गती
साल 2020 में अगर किसी मोर्चे पर पीएम मोदी को खुद को साबित करना है तो वो है अर्थव्यवस्था। विपक्ष के पास इस समय मोदी सरकार (Modi Government) को घेरने का एक ही विकल्प मौजूद है, जो है अर्थव्यवस्था। देश की आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाने, रफ्तार देने और उच्च विकास-दर हासिल करने के लिए मोदी सरकार को कई मोर्चों पर काम करने की चुनौती होगी। देश की अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह से सरकार का राजकोषीय घाटा बढ़ा है। आरबीआई ने भी हाल ही में कहा है कि इस साल कई चीजों पर महंगाई बढ़ सकती है जिस वजह से अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना मोदी सरकार के लिए काफी मुश्किल रहेगा।
मुस्लिमों का विश्वास जीतना
हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा देश में नागरिकता संशोधन कानून को पारित किया गया जबकि एनआरसी और एनपीआर जैसे कानून को लागू करने की बात चल रही है। एक तरफ मोदी सरकार के इन फैसलों से जहां हिन्दुओं को नई उम्मीद दी तो वहीं मुस्लिम समुदाय में मोदी सरकार के खिलाफ भ्रम पैदा हुआ।
नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और एनआरसी को लेकर अल्पसंख्यक समुदाय खासकर मुस्लिम, देश के कई शहरों में सड़क पर उतर कर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर में भी स्थिती सामान्य नहीं हुई है। इस स्थिती का सीधा असर दिल्ली और बिहार के चुनावों पर भी पड़ सकता है। जिस वजह से अब मुस्लिम समुदाय और अल्पसंख्यकों का विश्वास जीतना मोदी सरकार (Modi Government) के लिए इस साल काफी चुनौतीपूर्ण रहेगा।
एनडीए को करना होगा एकजुट
साल 2019 में भाजपा सरकार को महाराष्ट्र और झारखण्ड चुनावों में हार का सामना करना पड़ा। इन दोनों ही राज्यों में भाजपा की हार का कारण एनडीए के घटक दलों का अलग होना भी रहा। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की सबसे पुरानी सहयोगी शिवसेना महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद नाता तोड़कर अलग हो गई है। शिवसेना के अलग होते ही महाराष्ट्र में भाजपा सरकार नहीं बना पाई। ऐसे ही झारखंड में बीजेपी की सहयोगी आजसू के साथ सीट शेयरिंग पर सहमति न बन पाने पर दोनों की सियासी राह अलग हो गई है।
ऐसे में बीजेपी के बनने वाले नए अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने साल 2020 में एनडीए के कुनबे को जोड़कर रखने की चुनौती है। खासकर बिहार में बीजेपी को जेडीयू के साथ बेहतर तालमेल बनाकर रखना होगा क्योंकि साल के आखिरी में वहां पर विधानसभा चुनाव होने हैं।