केंद्र सरकार के कृषि पर कानून के खिलाफ किसानों ने 56वें दिन अपना आंदोलन कायम रखा है और वो कानून वापस लेने की जिद पर अड़े हुए हैं, जबकि कोर्ट ने कृषि बिल कानून पर फैसला ना आ जाने तक रोक लगा दी है। वहीं इसी बीच कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपना एक खेती का खून नाम से बुकलेट जारी किया है। जिसके लांच पर उन्होंने बीजेपी पर निशाना साधा है । हालांकि सोशल मीडिया पर राहुल के इस बुकलेट की काफी आलोचना की जा रही है, क्योंकि राहुल किसानों के आंदोलन को मुद्दा बनाकर अपना उल्लू सीधा करने का प्रयास कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार राहुल ने अपनी बयान में बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा, ” देश में एक विकराल स्थिति पैदा हो गई है और केंद्र इस बात को साफ नजरअंदाज कर रही है पीएम मोदी के करीबी 34 उद्योगपति हैं जिन्हें कृशिधन कानून से फायदा होने वाला है इसलिए शायद केंद्र तीनों काले कानून को वापस नहीं ले रहा है। उन्होंने आगे कहा कि , ”ये कानून सिर्फ किसानों पर हमला नहीं हैं, बल्कि मध्यम वर्ग और युवाओं पर हमला है। युवाओं से कहना चाहता हूं कि आपकी आजादी छीनी जा रही है।” सरकार किसानों को गुमराह करने का प्रयास कर रही है, लेकिन किसान केंद्र की बात नहीं सुनेंगे।”
वही जब एक पत्रकार ने राहुल से जेपी नड्डा के कुछ सवालों के बारे में पूछना चाहा तो राहुल काफी बौखला गए। उन्होंने कहा कि क्या जेपी नड्डा मेरे प्रोफेसर है? जो मैं उनके सभी सवालों का जवाब देता जाऊ? कौन है वो? बता दे खबरों के अनुसार पत्रकार ने कृषि बिल कानून के समर्थन और जे पी नड्डा से जुड़ा हुआ एक सवाल पूछा था, जिस पर राहुल को काफी गुस्सा आ गया और उन्होंने जवाब नहीं दिया।
वहीं अगर हम बात केंद्र की करें और राहुल की बातों पर ध्यान दें, तो अभी तक किसान संगठन और केंद्र सरकार के बीच में 9 बार की वार्ता हो चुकी है, जिसमें 60% किसान केंद्र द्वारा संशोधन के प्रस्ताव के लिए तैयार हो चुके हैं, लेकिन कुछ ऐसे किसान भी हैं, जो राजनीतिक मुद्दों को हवा देकर आंदोलन बढ़ाने के प्रयास में लगे हुए हैं। इसी का एक ताजा उदाहरण गुरनाम सिंह चढ़ूनी के नाम पर सामने आया है।
दरअसल चढ़ूनी पिछले दिनों एक बैठक में शामिल हुए थे, जिसमें पॉलिटिकल पार्टियों के कुछ नेता भी शामिल थे, जिसकी खबर लगने के बाद किसान आंदोलन के नेताओं ने चढ़ूनी को केंद्र से वार्ता करने वाली कमेटी से हटा दिया था। साथ ही उनपर कार्रवाई करने की भी चेतावनी दी थी। कुछ खबरों के अनुसार चढ़ूनी पर पैसे लेकर बीजेपी सरकार गिराने के आरोप लगे हैं, क्योंकि किसानों ने पहले ही साफ कर दिया था कि उन्हें अपनी लड़ाई में किसी भी विपक्ष दल के साथ की जरूरत नहीं थी, लेकिन फिर भी चढ़ूनी उस बैठक में शामिल होकर किसान संगठन के नियमों को तोड़ रहे थे।