प्रचार-प्रसार थमने के बाद अब क्या है बिहार का मिजाज? जानिए चुनावी माहौल की बड़ी बातें

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बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरे चरण का मतदान 7 नवंबर को होगा। बिहार में सियासत की आंधी अब थम गई है। आरोप-प्रत्यारोप, संकल्प पत्र, विजन डॉक्यूमेंट, दावे-वादों, और सियासी रैलियों का वक्त अब समाप्त हो चूका है। दो चरणों के मतदान पूरे हो गए हैं, अंतिम चरण के मतदान के बाद, नेताओं के किस्मत का ताला दिवाली के ठीक 4 दिन पहले 10 नवंबर को खुलेगा। 10 नवंबर को तय हो जाएगा कि बिहार की गद्दी पर कौन विराजमान होगा और बिहार के सत्ता की कमान किसके हाथों में होगी।

बिहार के सियासत का अंतिम पड़ाव अब अधिक दूर नहीं है। मात्र 3 दिन बाद पिछले 3 महीनों से मचे सियासी बवाल का निर्णय सबके सामने होगा।

आइए आपको बताते हैं कि करोना काल में भी लोकतंत्र के इस पर्व को किस तरह सियासी मंचो पर सजाया गया, चुनावी जनसभाओं में नेताओं ने जनता का ध्यान किस ओर आकर्षित किया और साथ ही नेताओं को जनसभा के दौरान विवादों का सामना कैसे करना पड़ा।

23 अक्टूबर से शुरू हुई राष्ट्रीय नेताओं की रैलियां

बिहार चुनाव दिलचस्प तब बना जब 23 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राहुल गांधी की रैली एक साथ हुई। राहुल गांधी अपने रैलियों में चीन सीमा पर बने तनाव के मुद्दे का कई बार जिक्र किया। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा की भारतीय जमीन पर चीन अपना कब्जा जमा चुका है। वही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा भारत के गरिमा के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता।

एलजीपी और चिराग पासवान की भूमिका

बिहार चुनाव की बात हो और चिराग पासवान का नाम ना आए, तो खबर अधूरी रह जाएगी। चिराग पासवान चुनावी माहौल में लगातार सुर्खियों में बने रहे। लोक जनशक्ति पार्टी इस बार बिहार चुनाव में अकेले 143 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। चिराग पासवान ने तो यहां तक कह दिया है कि बिहार में बीजेपी और लोजपा गठबंधन की सरकार बनेगी। चिराग पासवान का चुनावी माहौल में ही एक वीडियो भी वायरल हुआ जिस पर विपक्षियों ने जमकर निशाना साधा।

योगी और नीतीश विपरीत दिशा में क्यों?

चुनावी माहौल में विपक्ष और सत्तापक्ष के बिच तीरंदाजी लाजमी है, परंतु खास यह देखने को मिला कि एनडीए गठबंधन में दो सियासी पार्टियों के नेता एक विशेष मुद्दे पर विपरीत दिशा में नजर आए। कटिहार में एक रैली को संबोधित करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि घुसपैठियों को जल्द देश से बाहर निकाला जाएगा।

तो वही जदयू एनआरसी के फैसले के खिलाफ हमेशा से है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार योगी आदित्यनाथ के इस बयान के पलटवार में कहां कि कोई कुछ भी बोल कर चला जाता है, बिहार से किसी को भी बाहर नहीं निकाला जाएगा।

नौकरियों के मुद्दों ने सजाया सियासी महफिल

चुनावी हलचल में नौकरियों का मुद्दा भी सुर्खियों में बना रहा, एक तरफ आरजेडी प्रमुख तेजस्वी यादव ने जनता को 10 लाख नौकरी देने का भरोसा जताया तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी ने 19 लाख रोजगार सृजन करने की बात कही। तेजस्वी यादव द्वारा 10 लाख रोजगार वाली बात पर सुशील मोदी ने कहा यह संभव ही नहीं है। बिहार के बजट के हिसाब से यह आभासी आंकड़ा है।

कोरोना वैक्सीन की एंट्री, बीजेपी की फजीहत

करोना काल मे चुनावी मुद्दों में वैक्सीन की बात ना हो यह कैसे संभव हो सकता है। बीजेपी ने अपना संकल्प पत्र जारी करते हुए इस बात की घोषणा की बिहार में कोरोना वैक्सीन मुफ्त में प्रदान की जाएगी, इस बात पर वीपक्ष ने सरकार को घेरना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर कई लोगों ने तो यह भी पूछ लिया कि क्या वैक्सीन सिर्फ उन्हीं राज्यों में मिलेगा जहां चुनाव होंगे। फजीहत होने के बाद बीजेपी सरकार मे मंत्री प्रताप चंद्र सारंगी सामने आए उन्होंने कहा कोरोना वैक्सीन पूरे देशवासियों को मुफ्त में प्रदान की जाएगी।

अंतिम क्षणों में भावनात्मक अपील

बिहार चुनाव के अंतिम क्षणों में जनता के वोट को अपने हिस्से में करने के लिए भावनात्मक मुद्दों का भी खूब इस्तेमाल किया गया, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने चुनावी रैली में कहां यह मेरा आखिरी चुनाव है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी बिहार के बहनों और भईययों कों चिट्ठी लिखकर एनडीए गठबंधन को वोट डालने की अपील की।

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