आखिर क्या है CAB बिल? जानिए लोकसभा में दिए गए अमित शाह के भाषण की 10 बड़ी बातें

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जोरदार हंगामे और करीब 7 घंटे से अधिक चली बहस के बीच सोमवार को लोकसभा में नागरिक संशोधन विधेयक (CAB) को पास कर दिया गया। बिल के मत में 311 वोट पड़े जबकि 80 सांसद इस बिल के खिलाफ खड़े दिखाई दिए। आपको याद हो तो कुछ दिनों पहले NRC को लेकर ठीक इसी तरह की बहस छिड़ी थी लेकिन नागरिक संशोधन विधेयक पर चल रही बहस बिल्कुल अलग है। नागरिकता बिल में केंद्र सरकार के प्रस्तावित संशोधन के साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों के अलावा सिख, जैन, बौद्ध, ईसाई और पारसियों का बिना दस्तावेजों के साथ भारत आने का रास्ता पूरी तरह से साफ हो जाएगा।

भले ही यह बिल आपको एनआरसी की याद दिलाता हो लेकिन नागरिक संशोधन बिल (CAB) एनआरसी (NRC) से काफी अलग है। आइए नजर डालते हैं आखिर क्या है यह नागरिक संशोधन विधेयक।

क्या है नागरिक संशोधन विधेयक

नागरिकता संशोधन बिल (CAB) नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों को बदलने के लिए पेश किया जा रहा है, जिससे नागरिकता प्रदान करने से संबंधित नियमों में बदलाव होगा। नागरिकता बिल का उद्देश्य पड़ोसी देशों में सताए गए गैर मुस्लिम शरणार्थियों को बिना किसी दस्तावेजों के साथ भारत की नागरिकता देना है। भारत में नागरिकता हासिल करने के लिए आमतौर पर किसी भी देश में 11 साल की नागरिकता हासिल करना योग्य होता है लेकिन इस विधेयक (CAB) के बाद इसका प्रावधान 11 साल से घटाकर 6 साल तक का कर दिया गया है।

एनआरसी से कैसे अलग है नागरिक संशोधन विधेयक

एनआरसी यानी नेशनल रजिस्टर सिटीजन का ड्राफ्ट इसलिए तैयार किया गया ताकि असम में रह रहे भारतीयों और रोहिंग्या घुसपैठियों की पहचान की जा सके। अगस्त 2019 में जब इस बिल के तहत असम में कार्यवाही की गई तो 3.29 करोड़ों लोगों में से 19 लाख लोगों को वैध नागरिकों की सूची से बाहर पाया गया। NRC का मकसद असम में रह रहे घुसपैठियों की पहचान करना था जबकि नागरिकता बिल का निर्माण पड़ोसी देशों से आए हिंदू शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दिलाना। साथ ही 2014 या उससे पहले के गैर मुस्लिम शरणार्थी भी इस बिल के तहत नागरिकता के पात्र होंगे।

पूर्वोत्तर में हो रहा है बिल का जमकर विरोध

इस बिल के लोकसभा में पारित होने के बाद एक तरफ जहां पड़ोसी देशों के शरणार्थियों में खुशी की लहर है तो वहीं दूसरी तरफ पूर्वोत्तर के लोग इस बिल का जमकर विरोध कर रहे हैं। पूर्वोत्तर के लोगों को लगता है कि इस बिल के बाद बांग्लादेश और अन्य पड़ोसी देशों से आए हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता मिलने के बाद असम में रहने वाले लोगों का अधिकार पूरी तरह से समाप्त हो जाएगा। वही कुछ मुस्लिम समुदाय भी ऐसा ही सोचते हैं नागरिकता बिल के बाद उनके साथ भेदभाव की नीति लागू हो जाएगी।

नागरिकता बिल को लेकर लोकसभा में दिए गए अमित शाह के भाषण की बड़ी बातें।

1. सदन में अपने भाषण के दौरान अमित शाह ने कहा ‘पाकिस्तान में 1947 में हिंदुओं की आबादी 23% थी लेकिन 2011 में ये आंकड़ा 3.4 प्रतिशत ही रह गया। पड़ोसी देशों में हो रहे अल्पसंख्यकओ पर अत्याचार का भारत मूकदर्शक नहीं बन सकता। हम अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता दिला कर ही रहेंगे। यह पूरा विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक लोगों के लिए है’।

2. कांग्रेस पर वार करते हुए अमित शाह ने कहा ‘अगर देश का विभाजन धर्म के आधार पर नहीं हुआ होता तो मुझे आज सदन में इस बिल (CAB) को लाने की जरूरत ही नहीं पड़ती। सदन को स्वीकार करना पड़ेगा देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ है। मुस्लिमों की आबादी वाला देश पाकिस्तान घोषित हुआ जबकि अन्य को भारत कहा गया।

3. बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22% थी जो 2011 में 7.8 % हो गई। आखिर कहां गए ये लोग। जो लोग विरोध करते हैं उन्हें में पूछना चाहता हूं कि अल्पसंख्यकों का क्या दोष है कि वो इस तरह क्षीण किए गये?

4. 1951 में भारत में मुस्लिम 9.8 प्रतिशत थे। आज 14.23 प्रतिशत हैं, हमने किसी के साथ भेदभाव नहीं किया। आगे भी किसी के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।

5. अल्पसंख्यकों को भरोसा दिलाते हुए अमित शाह ने कहा मैं अपने सभी अल्पसंख्यक भाई बहनों को विश्वास दिलाता हूं कि मोदी जी के प्रधानमंत्री रहते हुए इस देश में किसी भी धर्म के नागरिक को डरने की जरूरत नहीं है।

6. किसी भी व्यक्ति को अपने परिवार की बहन-बेटी को या अपने धर्म को बचाने के लिए यहां आना पड़े और हम अपनाए नहीं, ये गलती हम नहीं कर सकते। हम उन्हें जरूर स्वीकारेंगे, नागरिकता देंगे और पूरे विश्व के सामने उन्हें सम्मान भी देंगे।

7. गृह मंत्री ने कहा कि ‘सावरकर का द्विराष्ट्र सिद्धांत था या नहीं, मैं इसमें नहीं जाना चाहता लेकिन जब जिन्ना ने दो राष्ट्र का सिद्धांत दिया तो इसे आपने (कांग्रेस) ने स्वीकार क्यों किया। अमित शाह ने एक सवाल के जवाब में कहा भारत ने समय-समय पर जरूरतमंद लोगों को नागरिकता दी गई है।

8. अफगानिस्तान में 1992 तक करीब 2 लाख हिंदू और सिख थे और 2018 तक वो सिर्फ 500 रह गए। पूरे देश ने देखा था कि धार्मिक स्थलों को तोड़ा गया।

9. भगवान बुद्ध की भव्य प्रतिमा को तोप के गोले दागकर तोड़ा गया। ऐसे में अल्पसंख्यक कहां जाते?

10. 2014 की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान में 1 हजार लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया गया। UNHRC की रिपोर्ट के अनुसार अब दूसरे धर्मों के मात्र 20 धार्मिक स्थान ही पाकिस्तान में बचे हैं। मैं फिर से इस सदन के माध्यम से पूरे देश के सामने स्पष्ट करना चाहता हूं कि घुसपैठिये और शरणार्थी में मौलिक अंतर है।

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