नागरिकता संशोधन विधेयक पास, लेकिन पाकिस्तान को नही आया रास

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सोमवार देर रात लोकसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब CAB) को अपनी मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के अनुसार पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए उन गैर-मुसलमानों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो। लोक सभा ने उन्हें अवैध प्रवासी मानने से इंकार कर दिया है।

लेकिन भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान ने भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक को पड़ोसी देशों के मामलों में ‘दखल’ का ‘दुर्भावनापूर्ण इरादा’ बताया है। पाकिस्तान को भारत में नागरिकता संशोधन बिल पास होना रास नहीं आ रहा।

भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए बताया कि, “भारत में 1951 में 84 प्रतिशत हिंदू थे जो 2011 में कम होकर 79 फीसदी रह गये, वहीं मुसलमान 1951 में 9.8 प्रतिशत थे जो 2011 में 14.8 प्रतिशत हो गये हैं। इसलिये यह कहना गलत है कि भारत में धर्म के आधार पर भेदभाव हो रहा है। उन्होंने कहा कि धर्म के आधार पर भेदभाव न हो रहा है और ना आगे होगा। यह विधेयक (CAB) किसी धर्म के खिलाफ भेदभाव वाला नहीं है।”

इसके साथ ही शाह ने कहा कि, “ये विधेयक तीन देशों के अंदर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए है जो घुसपैठिये नहीं, शरणार्थी हैं। मैं दोहराना चाहता हूं कि देश में किसी शरणार्थीनीति की जरूरत नहीं है। भारत में शरणार्थियों के संरक्षण के लिए पर्याप्त कानून मौजूद हैं।”

अमित शाह ने ये भी कहा कि, “1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी। 2011 में 23 प्रतिशत से कम होकर 3.7 प्रतिशत हो गयी। बांग्लादेश में 1947 में अल्पसंख्यकों की आबादी 22 प्रतिशत थी जो 2011 में कम होकर 7.8 प्रतिशत हो गयी।”

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