मध्यप्रदेश के बहुचर्चित व्यापम घोटाले को लेकर सीबीआई की अदालत ने 21 लोगों को दोषी पाते हुए 7 से 10 साल तक की कठोर सज़ा सुनाई है। मध्य प्रदेश व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) की ओर से साल 2013 में ली गई पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा में धोखाधड़ी एवं बेईमानी करने के कारण काफ़ी चर्चा में रहा था। तभी से ये मामला सीबीआई को सौंप दिया गया था और इस पर लगातार सीबीआई की अदालत सुनवाई कर रही थी।
सीबीआई की अदालत में पहली बार इस घोटाले में इतनी बड़ी संख्या में लोगों को इतने लंबे समय के लिए जेल की सजा सुनाई है। सीबीआई के विशेष लोकअभियोजक सतीश दिनकर ने बताया, ”व्यापम द्वारा ली गई पुलिस कॉन्स्टेबल भर्ती परीक्षा, 2013 के मामले में आज सीबीआई के विशेष जज एस बी साहू ने प्रदीप त्यागी को 10 साल कठोर कारावास की सजा सुनाने के साथ-साथ 5,000 रूपये का जुर्माना भी लगाया है।”
सतीश दिनकर ने बताया, ‘‘जज साहू ने इस मामले में 30 अन्य लोगों को सात-सात साल कठोर कारावास की सजा सुनाई है, और उन पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।’’
सीबीआई की अदालत ने 21 नवंबर को इस मामलें में दोषी ठहराते हुए 25 नवंबर को सजा सुनाने की डेट तय की थी। कोर्ट ने 25 नवम्बर को जिन लोगों को सजा सुनाई है, उनमें 12 बहुरूपिया (दूसरे के बदले परीक्षा देने वाले) और 7 दलाल (परीक्षार्थियों से पैसे लेकर पास करवाने वाले) शामिल हैं। इन 12 बहुरूपियों में से 6 बहुरूपियों को भोपाल के परीक्षा केन्द्र से एवं 6 बहुरूपियों को दतिया के परीक्षा केन्द्र से पकड़ा गया था।
आपको बता दें कि व्यापम की ओर से मध्य प्रदेश की कई सरकारी नौकरियों के लिए ली गई भर्ती परीक्षाओं और प्री-मेडिकल टेस्ट में पिछले कई वर्षों में कथित रूप से अनियमितता कर करोड़ों रूपये के घोटाले हुए थे। इसमें तत्कालीन मध्य प्रदेश के पूर्व राज्यपाल एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राम नरेश यादव भी घिर फँसते नज़र आये थे। हालाँकि राम नरेश यादव अब दिवंगत हो चुके हैं। उनके साथ ही इस बड़े पैमाने के घोटाले में में अनेक पेशेवर मंत्री, नेता, नौकरशाह, दलाल एवं छात्र को भी अभियुक्त क़रार दिया गया था। इनमें से एक मंत्री सहित कुछ लोग पहले ही जेल जा चुके हैं।