विकास दुबे एनकाउंटर के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक न्यायिक आयोग का गठन किया था। उच्च न्यायिक आयोग ने एनकाउंटर स्थल पर जाकर जांच की। इसके अलावा एनकाउंटर में उपस्थित पुलिसकर्मियों से सवाल किए। न्यायिक आयोग के तीन सदस्य सुप्रीम कोर्ट के सेवानिवृत्त जज बीएस चौहान उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी केएल गुप्ता इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त जज एसके अग्रवाल ने इस पूरे मामले की जांच की लेकिन टीम के सवालों के जवाब पुलिसकर्मियों के पास नहीं थे। पुलिसकर्मी अपने ही जवाबों में फंसते चले गए। आयोग के सदस्यों ने पुलिसकर्मियों के सामने इतने सवाल रखें के पुलिसकर्मी कई गलत जबाब दे बैठे।
आयोग के सदस्यों ने पूछा कि गाड़ी कहां और कैसे पलटी? कितने लोग सवार थे? विकास कहां बैठा था? जवाब मिला पीछे की सीट पर, बीच में!.. किसकी पिस्टल लेकर भागा? नवाबगंज थाना प्रभारी रमाकांत पचौरी बोले सर मेरी… आप किधर बैठे थे? थाना प्रभारी बोले बायीं ओर !..आयोग के सदस्य ने अचरज जताया कि गाड़ी बायीं ओर ही पलटी थी तब तो आप की पिस्टल आपके शरीर के नीचे दबी होनी चाहिए? विकास दुबे ने इतनी जल्दी आपकी पिस्टल कैसे निकाल ली? थाना प्रभारी ने कहा सर पता नहीं मैं बेहोश हो गया था।… अगला सवाल सदस्यों ने पूछा विकास गाड़ी से बाहर कैसे गया? थाना प्रभारी ने तुरंत जवाब दिया पीछे वाले दरवाजे से बाहर निकल कर भागा!.. इस पर आयोग के सदस्यों ने आश्चर्य जताते हुए कहा अच्छा आप तो बेहोश थे ?
आयोग के सदस्यों ने यह भी सवाल किया कि उज्जैन से विकास को आप कब लेकर चले? गाड़ी कहां बदली? टोल के बाद मीडिया के वाहन क्यों रोके गए? एसटीएफ ने कहा कि टोल से जांच के बाद वाहन आगे बढ़ाए जाते हैं !..इसमें पुलिस की भूमिका नहीं। उन्होंने विकास दुबे के अलावा अतुल दुबे और प्रेमशंकर के एनकाउंटर से संबंधित भी कई सवाल पूछे।