पिपलांत्री गांव के बारे में हर कोई जानता है। अगर कोई व्यक्ति इस गांव के बारे में नहीं जानता तो उसे इस कहानी को जरूर पढ़ना चाहिए। इस गाँव के सरपंच श्यामसुंदर पालीवाल की जवान बेटी किरण का असामयिक निधन हो गया, जिसके चलते वे सदमे में चले गए थे। कुछ ग्रामीणों ने उठावनी के दिन बेटी की स्मृति में कुछ पौधे उनके हाथों से लगवाए थे। यही वह वक़्त था, जिसने सरपंच को ऐसा आईडिया दिया जिसने गाँव के हालात सुधार दिये। हम सभी जानते हैं कि देश में बेटियों के साथ बहुत सारे अन्याय होते रहते हैं। कहीं पर दहेज प्रथा तो कहीं पर माता पिता बेटी को आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण शिक्षा नहीं दिलवा पाते।
आर्थिक कष्टों को दूर करने के लिए इस गांव के सरपंच पालीवाल ने एक ऐसा काम किया जो दुनिया के लिए मिसाल बन चुका है। आपको बता दें इस गांव में नवजात कन्या के जन्म पर माता-पिता और उसके परिजन 111 पेड़ लगाते हैं। 2006-07 में शुरू हुई इस पहल को पालीवाल जी की बेटी को समर्पित करते हुए गाँव वालों ने ‛किरण निधि योजना’ का नाम दिया और 30 जुलाई, 2011 को इसकी विधिवत शुरुआत करवाई गई। पालीवाल का कहना है कि हम गाँव में जन्म लेने वाली प्रत्येक बेटी के नाम पर 31,000 रुपए की फिक्स्ड डिपॉजिट करवाते हैं। बेटी के माता-पिता से 10,000 रुपए की मदद ली जाती है, ताकि उनका आर्थिक जुड़ाव भी बना रहे। गाँव में जन्म लेने वाली बच्ची के नाम एफडी करवाने के बदले उसके माता-पिता से दस रुपए के स्टाम्प पेपर पर एक शपथ पत्र लिया जाता है।
इसमें निम्न शर्तें होती हैं
- हमारे परिवार में कोई भी व्यक्ति कन्या भ्रूण हत्या नहीं करेगा।
- बेटी के जन्मदिन पर लगाए गए इन 111 पौधों एवं बेटी का पालन-पोषण समान रूप से करेंगे।
- अपनी बेटी को शिक्षा से वंचित नहीं रखेंगे।
- किसी भी परिस्थिति में अपनी बेटी का बाल विवाह नहीं करेंगे।
- बेटी के बालिग होने पर यह एफडी की रकम उसकी उच्च शिक्षा या विवाह में खर्च की जाएगी।
- बेटी के जन्म पर लगाए गए पौधे जब वृक्ष बन जाएंगे, तो उन पर गाँव का अधिकार होगा।
आपको बता दें कि 2006 से गाँव में जन्म लेने वाली हर बेटी के नाम पर पौधे लगाए जा रहे हैं। अब तक हुए वृक्षारोपण में 93,000 से ज्यादा पौधे पेड़ बन चुके हैं। ऐसी ही कल्याणकारी योजनाओं के कारण इस ग्राम पंचायत को कई पुरस्कारों सहित राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों निर्मल ग्राम सम्मान दिया गया। इसके अलावा इस गाँव को ‘आदर्श ग्राम’, ‘निर्मल गाँव’ और ‘पर्यटन ग्राम’ का भी ख़िताब दिया जा चुका है।
तो दोस्तों देखा आपने किस तरह से एक व्यक्ति के नेक इरादों ने पूरे गांव की सूरत को बदल कर रख दिया था।