देशभर में लगातार वीर सावरकर के नाम को लेकर चर्चाएं चलती रहती है। जिन लोगों ने कभी राष्ट्र के लिए कुछ नहीं दिया वह लोग महापुरुषों की कुर्बानी पर उंगली उठाते हैं।जिन लोगों का योगदान भारत को बांटने में रहा वे देश के महापुरुषों के बारे में सवाल करते हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद के सौंदर्यीकरण तथा कार्यो का उद्घाटन किया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने इस कार्यक्रम के दौरान कहा था कि सर्वाधिक विधान परिषद सदस्यों के कारण हमारा विधानमंडल सबसे बड़ा विधानमंडल है। यह विधानमंडल लोकतंत्र का केंद्र है और आस्था का मंदिर भी है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वीर सावरकर के चित्र को देखकर कहा कि वे अद्भुत कवि और महान राष्ट्रभक्त थे। पंडित महामना मदन मोहन मालवीय,उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत,पूर्व मुख्यमंत्री डॉ संपूर्णानंद, सर तेज बहादुर सप्रू तथा महादेवी वर्मा जी का इस सदन से जुड़ाव रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा कि सन 1887 से उत्तर प्रदेश विधान परिषद का एक अपना इतिहास रहा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने वीर सावरकर के चित्र का कहा, “आजादी की जंग लड़ने वालों का सम्मान होना चाहिए। मगर आजादी के दौर में कुछ लोगों के कामों पर भी बहस जरूर होनी चाहिए।”
वीर सावरकर को अपना गुरु मानते थे भगत सिंह
भगत सिंह के सहयोगी रहे दुर्गादास खन्ना ने एक साक्षात्कार में बताया था कि हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन में भर्ती होने के दौरान भगत सिंह और सुखदेव ने उनसे पूछा था कि क्या मैंने वीर सावरकर की रचनाओं को पढ़ा है? भगत सिंह ने तो 1857 पर सावरकर की लिखी किताब का दूसरा संस्करण प्रकाशित भी कराया था। दशकों बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस और रास बिहारी बोस ने इसका जापानी संस्करण प्रकाशित किया। इतना सब होने के पश्चात भी हमारे देश के लोग उन्हें राष्ट्रभक्त नहीं मानते, तो यह हमारी गलती नहीं उन सभी लोगों की दृष्टि में दोष है।