पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद हुई हिंसा में भारतीय जनता पार्टी के लगभग 6 कार्यकर्ताओं की हत्या हो चुकी है। जेपी नड्डा का कहना है कि इस हिंसा से लगभग एक लाख लोगों का जीवन प्रभावित हो चुका है। वहीं दूसरी तरफ असम के एक भाजपा नेता का यह कहना है कि इस हिंसा के कारण करीब 200 से 300 लोगों ने पश्चिम बंगाल छोड़कर असम में शरण ली है। वही हम खबर आ रही है कि पश्चिम बंगाल में हुई इस हिंसा का सच जानने के लिए केंद्र सरकार ने एक 4 सदस्यीय टीम गठित कर दी है।खबरों के अनुसार गृह मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव के नेतृत्व में यह टीम पश्चिम बंगाल रवाना हो चुकी है। पश्चिम बंगाल में हो रही हिंसा पर गृह मंत्रालय ने पहले रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन राज्य सरकार की ओर से अभी तक कोई भी रिपोर्ट नहीं भेजी गई।
बुधवार को भेजे गए स्मरण पत्र में गृह मंत्रालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव से कहा कि पश्चिम बंगाल में हिंसा की घटनाएं नहीं रुकी हैं और इसका अभिप्राय है कि राज्य सरकार ने इन्हें नियंत्रित करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाए हैं।
भाजपा ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस समर्थित गुंडों ने उसके कार्यकर्ताओं की हत्या की, महिला सदस्यों पर हमला किया, घरों में तोड़-फोड़ की और सदस्यों के दुकानों में लूटपाट एवं कार्यालय में आगजनी की। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बुधवार को दावा किया है कि चुनाव के बाद हुई हिंसा में भाजपा के कम से कम 14 कार्यकर्ता मारे गए हैं और एक लाख लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी उनकी भूमिका बताती है।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इस पूरी हिंसा पर सफाई देते हुए कहा कि ये घटनाएं तब हुई जब कानून व्यवस्था निर्वाचन आयोग के अधीन था। उन्होंने कहा, ‘पश्चिम बंगाल में गत तीन महीनों में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है। कुछ छिटपुट घटनाएं हुई हैं और सभी वास्तविक नहीं हैं, उनमें अधिकतर फर्जी हैं। भाजपा पुराने वीडियो दिखा रही है।’ उन्होंने कहा कि सभी जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक ऐसी किसी भी स्थिति से कड़ाई से निपटे। बनर्जी ने कहा, ‘यदि कोई भी किसी भी घटना में लिप्त पाया जाएगा तो हम उससे कड़ाई से निपटेंगे। हम यहां अराजक स्थिति सहन नहीं करेंगे।’