जम्मू कश्मीर में लगातार दी जा रही है कानून को चुनौती, दो साथियों की हत्या के बाद घाटी छोड़ने को मजबूर हुए बिहारी मजदूर

पिछले कुछ दिनों से जम्मू कश्मीर में अपने साथियों की हत्या देख बिहारी मजदूर घाटी छोड़ने के लिए मजबूर हो गए हैं। दस अक्टूबर को भागलपुर के वीरेंद्र पासवान और शनिवार को बांका जिले के अरविंद कुमार साह की हत्या के बाद डर बढ़ गया है।

0
310
प्रतीकात्मक चित्र

जम्मू कश्मीर में लगातार आतंकवादी जम्मू कश्मीर के बाहर के लोगों को निशाना बना रहे हैं। इसमें वे लोग शामिल है जो वहां पर जाकर अपनी रोजी-रोटी कमा रहे हैं। दस अक्टूबर को भागलपुर के वीरेंद्र पासवान और शनिवार को बांका जिले के अरविंद कुमार साह की हत्या के बाद डर बढ़ गया है। अरविंद के गृह जिले बांका के कई लोग घाटी छोड़ने की तैयारी में लग गए हैं। इसके अलावा कोसी, सीमांचल और पूर्वी बिहार के अन्य जिलों के लोग भी घाटी को छोड़कर जाने की बात कह रहे हैं। सहरसा जिले के मनोज कुमार, रोहित कुमार, सुपौल जिले के अरविंद कुमार, संजीव कुमार भी परिवार के साथ घाटी छोड़ने का फैसला कर चुके हैं। घाटी के मौजूदा हालात से इन सभी के मन में दहशत है। इसी तरह जलालगढ़ के याकूब आलम, अररिया के मंसूर आलम, बरसौनी के रजत कुमार राजभर ने बताया कि उनके परिजन पांच माह पहले घाटी गए थे। गैर कश्मीरियों की हत्या के बाद ठेकेदार बकाया रकम भी नहीं दे रहे, ताकि सब वहां से लौट आएं।

आपको बता दें कि इनमें कई ऐसे भी मजदूर हैं जिन्होंने कई महीने काम किया और मालिक के पास रुपए भी बकाया है लेकिन जान के डर से अब वापस घर आ गए हैं। इनको एक तो मजदूरी नहीं मिली, ऊपर से जो भी रुपया कर्ज लेकर गए थे, लौटने पर कर्जदार परेशान कर रहा है। ऐसे मजदूरों में सामने सबसे बड़ी चुनौती ख़डी हो चुकी है। कि अब वे या तो अपनी जान बचा सकते हैं या फिर अपनी रोजी रोटी…

जम्मू-कश्मीर पुलिस के पूर्व महानिदेशक डा. एसपी वैद का कहना है कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होने के बावजूद इन लोगों पर हमले होना कहीं न कहीं इंटेलीजेंस की विफलता है। ऐसी घटनाओं से अन्य प्रदेशों के कश्मीर में रह रहे लोगों में भय पैदा होगा। इससे कश्मीर के आम आदमी को भी तकलीफ होगी। उन्होंने कहा कई लोग कश्मीर में रेहड़ी लगाने सेे लेकर बढ़ई का काम करते हें। कृषि, बागवानी में भी अहम भूमिका है। अगर इन लोगों में दहशत बढ़ी और पलायन हुआ तो इससे कश्मीर के लोगों की जिंदगी दुभर हो जाएगी। पलायन न हो, इसके लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने चाहिए।

राज्‍य के पूर्व राज्‍यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा है कि जब वो यहां के राज्‍यपाल थे तो श्रीनगर के 50 किमी के दायरे में घुसने की हिम्‍मत आतंकी नहीं कर पाते थे। राज्‍य की पूर्व मुख्‍यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने इन हत्‍याओं की निंदा की है। अपने एक ट्वीट में उन्‍होंने लिखा है कि निर्दोष नागरिकों पर बार-बार होने वाले बर्बर हमलों की निंदा करने के लिए उनके पास पर्याप्त शब्द नहीं हैं। मेरा दिल उनके परिवारों के लिए है क्योंकि वे सम्मानजनक आजीविका कमाने के लिए अपने घरों की सुख-सुविधाओं को छोड़ देते हैं। बहुत दुखद।

इन हत्‍याओं की निंदा करते हुए राज्‍य के पूर्व मुख्‍यमंत्री उमर अब्‍दुल्‍लाह ने अपने ट्वीट में लिखा था कि घाटी से फिर एक और बुरी खबर आई है। दक्षिण कश्‍मीर के कुलगाम जिले में दो लोगों (राजा और जोगिंदर ऋषि देव) की हत्‍या कर दी गई है। मैं उनकी आत्‍मा की शांति के लिए दुआ करता हूं और इसकी कड़ी निंदा करता हूं। अपने एक और ट्वीट में उन्‍होंने पुलवामा में आतंकियों के हाथों मारे गए सगीर अहमद की हत्‍या की भी निंदा की है। उन्‍होंने लिखा है कि सगीर पैसा कमाने के लिए यहां पर आए थे। उन्‍होंने राज्‍य की आंतरिक सुरक्षा पर भी चिंता जताई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here