ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम (जीएचएमसी) चुनाव में प्रचार के लिए गए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सभा में जिस तरह भीड़ उमड़ी और ‘आया-आया शेर आया’, ‘योगी-योगी जय श्रीराम’, और वंदेमातरम’ की गूंज हुई, उससे भाजपा को भी भरोसा हो चुका है कि वह योगी के जरिए ही मुस्लिम ध्रुवीकरण की राजनीति करने वालों को सटीक जवाब दे सकती है। योगी के काम, नाम, वेशभूषा और वाणी के सहारे तुष्टीकरण की राजनीति को जवाब देने की यह भाजपा की रणनीति है।
अन्य राज्यों की तरह हैदराबाद में भी योगी के स्वागत ने फिर बता दिया कि उनकी सभा उम्मीदवारों के लिए वोट मांगना भर नहीं है, बल्कि भाजपा की हिंदुत्व व राष्ट्रवाद के सहारे दक्षिण में पैर मजूबत करने की रणनीति का हिस्सा भी है। लोकसभा चुनाव में तेलंगाना में चार सीटों और उपचुनाव में विधानसभा की तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (टीआरएस) की सीट पर कमल खिलने से उत्साहित भाजपा ने जीएचएमसी चुनाव के जरिये दक्षिण के राज्यों में 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए पकड़ व पहुंच बढ़ाने की तैयारी की है।
इसमें तेलंगाना व आंध्र प्रदेश के सामाजिक समीकरण में योगी का योगदान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
तेलंगाना में भाजपा का उभार, टीआरएस के लिए चिंता का विषय क्यों
- दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना के लोकसभा परिणामों की सबसे बड़ी विशेषता थी, भाजपा की अब तक की सबसे बड़ी जीत. यहां पार्टी ने चार सीटों पर जीत का परचम लहराया और सत्तारूढ़ तेलंगाना राष्ट्र समिति को सकते में डाल दिया था।
- इससे पहले भगवा पार्टी की ऐसी जीत अविभाजित आंध्र प्रदेश में 1980 और 1990 के दशक में देखने को मिली थी।
- 1985 में तेलगू देशम पार्टी के साथ मिलकर भाजपा ने सात सीटों पर अपना क़ब्ज़ा किया था। वहीं 1990 के दशक के अंत में हुए चुनावों में पार्टी ने दोबारा टीडीपी के साथ मिलकर चार सीटों पर जीत दर्ज की थी।
- लोकसभा चुनावों में पार्टी की हालिया जीत राज्य में न सिर्फ़ इसका क़द बल्कि इसके कार्यकर्ताओं का मनोबल भी बढ़ाएगी।
- दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी इस चुनाव में पांच से एक सीट पर खिसक गई थी।
समीकरण के अनुरूप कार्य कर रही बीजेपी
तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के दूरदराज इलाकों में भी हिंदुत्व की उम्मीदों का चेहरा बनते जा रहे हैं। लोगों को लगता है कि ये व्यक्ति मुस्लिम राजनीति करने वालों को सटीक जवाब दे सकता है। खासतौर से ओवैसी के भाषणों का योगी जिस तरह जवाब देते हैं उससे भी हिंदुओं के बीच उनकी लोकप्रियता बढ़ी है। जहां तक ओवैसी का सवाल है तो वे तेलंगाना में सिर्फ पुराने हैदराबाद इलाके में ही अच्छा प्रभाव रखते हैं। शेष में अब हिंदू स्वाभिमान व सम्मान का सवाल लोगों के बीच गंभीर चर्चा बनने लगा है। इसकी झलक इन नगर निगम चुनाव के प्रचार में दिख भी रही है। भाजपा ने शायद इसे ही वोटों में बदलने और ओवैसी की ताकत के गुब्बारे की हवा निकालने की तैयारी की है। इसमें योगी अहम भूमिका निभा सकते हैं। इसका परीक्षण भाजपा ओवैसी के घर हैदराबाद नगर निगम चुनाव से कर रही है।
तेलंगाना के सामाजिक ढांचे की बात करे तो ओवैसी के चलते योगी तेलंगाना की राजनीति में भाजपा के लिए तुरुप का पत्ता साबित हो सकते हैं। कारण गाय, मंदिर, अयोध्या की दिवाली, बरसाना की होली और काशी की देव दीपावली, सरयू आरती, मंदाकिनी आरती, चित्रकूट का विकास, कांवड़ यात्रा पर पुष्पवर्षा, लव जिहाद और धर्मांतरण पर कड़े तेवर जैसे अनेक कामों से योगी इस राज्य के हिंदुओं को भी लुभाने लगे हैं। गांवों में लोग उनकी चर्चा करते हैं। यूपी और बिहार के लोग बड़ी संख्या में हैदराबाद में भी रहते हैं। भाजपा भी शायद इसे समझ रही है। इसीलिए उसने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की विदाई, तीन तलाक, नागरिकता संशोधन कानून जैसे मुद्दों को लेकर हिंदुत्ववादी छवि और तीखे तेवरों की राजनीति करने वाले अमित शाह के साथ योगी को भी मैदान में उतारकर भविष्य के लक्ष्य पर अभी से राजनीतिक निशाना साधने की कोशिश की है।
तेलंगाना उपचुनाव में BJP ने मारी थी बाजी
दक्षिण भारतीय राज्य तेलंगाना की दुब्बाक विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने बाजी मारी है। बीजेपी (BJP) कैंडिडेट माधवानेनि रघुनंदन राव (Madhavaneni Raghunandan Rao) ने जीत का परचम लहराया था। चुनाव आयोग (Election Commission) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, राव को कुल 63352 वोट मिले थे। इन चुनावों में बीजेपी को तेलंगाना राष्ट्रीय समिति के सोलिपेटा सुजाता से कांटे की टक्कर मिली है। आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, सुजाता को 62273 वोट मिले थे।
संयुक्त आंध्र प्रदेश का हिस्सा रहे तेलंगाना के इलाकों में अपने पांव मजबूत करने के लिए बीजेपी लंबे समय से प्रयास कर रही है। देश के दक्षिणी हिस्से में कर्नाटक इकलौता राज्य रहा है जहां पर बीजेपी ने सरकार बनाई है। दुब्बाक सीट पर बीजेपी की जीत का ऐलान होने के बाद राज्यसभा सांसद और पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव चंद्रशेखर ने इस जीत को गेम चेंजर जीत बताया था। उन्होंने सीट के सभी वोटरों, भाजपा कार्यकर्ताओं और भाजपा उम्मीदवार को जीत की बधाई भी दी थी वहीं देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जीते हुए नेता को ट्वीट कर बधाई दी थी।