देशभर में तीनों नए कृषि कानूनों को लेकर सत्ता विरोधी लहर तैयार की जा रही है। राजनीतिक रूप से शुरू हुआ आंदोलन और राजनीतिक पार्टियों को सत्ता में बैठाने के लिए तैयारियां कर रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में इस आंदोलन से जुड़े नेता भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। तो कहीं कहीं देश की शांति व्यवस्था में भी दखल डालने का काम किया जा रहा है। सोमवार को कुछ किसान गाजियाबाद के कलेक्ट्रेट भवन में पहुंचे थे और तीनों नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे। जब इस प्रदर्शन की भनक गाजियाबाद के डीएम राकेश कुमार सिंह को मिली। तो राकेश कुमार सिंह ने प्रदर्शन करने वाले किसानों से बात की और उन्हें नए कृषि कानूनों के बारे में समझाया।
आइए जानते हैं किस तरह से डीएम ने दिया किसानों के सवालों का जवाब?
प्रदर्शनकारी: तीनों नए कृषि कानून किसानों के विरोधी हैं?
डीएम: नए कानूनों के द्वारा सरकार भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाकर किसानों की आय को बढ़ाना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो इन कानूनों में क्या बुराई है?
प्रदर्शनकारी: किसानों को उनकी फसल का अच्छा दाम नहीं मिल पाता। मंडी बंद होने से वे अपनी फसल कैसे बेचेंगे?
डीएम: मंडियों को इसलिए बनाया गया था जिससे किसानों को उनकी फसल का ज्यादा दाम मिले। किसान अपनी फसल लेकर मंडी जाएं और वहां पर आढ़ती बोली लगाकर उनकी फसल को उचित दामों में खरीदें। नए कानूनों से किसानों की फसल खेत से ही बिक जाएगी। और जो किसान चाहते हैं वे मंडी में लाकर भी अपनी फसल बेच सकते हैं।
प्रदर्शनकारी: अगर कृषि कानून अच्छे हैं तो लोग इसका विरोध क्यों कर रहे हैं?
डीएम: कुछ संगठन या केवल विरोध करने वाले लोग ही किसान नहीं है। देश की 70% आबादी कृषि पर आधारित है। मेरे पिता भी किसान हैं। वे 75 वर्ष की आयु में भी खेती करते हैं। अगर आपको यकीन ना आए तो अयोध्या जाकर कभी भी देख लीजिएगा वे खेत की मेड पर ही मिलेंगे। सरकार किसानों के लिए गलत पॉलिसी लाकर अपना नुकसान भला क्यों करेगी?