केंद्र सरकार ने कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से लोधी एस्टेट स्थित बंगला खाली करने को कहा

साल 2000 में ही ये नियम बना दिया गया था कि जिस व्यक्ति के पास SPG सुरक्षा नहीं है, उसे किसी तरह का सरकारी बंगला नहीं दिया जाएगा।

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केंद्र सरकार ने विपक्षी पार्टी को झटका देते हुए कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी से लोधी एस्टेट स्थित बंगला खाली करने को कहा है। केंद्र सरकार के इस कड़े फैसले के बाद राजनीति गरमा गयी है। कांग्रेस के नेताओं ने सरकार के इस फैसले को खुद पर हमला बोला है। उन्हें इसके लिए 1 अगस्‍त, 2020 तक की मोहलत दी गई है। डिप्‍टी डायरेक्‍टर ऑफ एस्‍टेट्स की ओर से प्रियंका को भेजे गए लेटर में कहा गया है कि तय वक्‍त के बाद भी बंगले में रहने पर किराया/जुर्माना देना होगा। लेटर में बंगला खाली कराने के पीछे एसपीजी सुरक्षा हटने को वजह बताया गया है। दरअसल, कांग्रेस नेता को भेजी गई चिट्ठी में कहा गया है कि ‘गृह मंत्रालय के SPG प्रोटेक्‍शन हटाने के बाद आपको Z+ सिक्‍योरिटी कवर दिया गया। जिसमें सुरक्षा के आधार पर सरकारी बंगले के आवंटन/रिटेंशन का प्रावधान नहीं है।

इसलिए लोधी एस्‍टेट का हाउस नंबर 35 का अलॉटमेंट रद्द किया जाता है। आपको एक महीने का कंसेशनल पीरियड दिया जा रहा है।’ समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक प्रियंका गांधी वाड्रा को 21 फरवरी, 1997 में लोधी रोड स्थित बंगला अलॉट किया गया था। तब उनके पास SPG सुरक्षा थी, लेकिन Z प्लस सुरक्षा में बंगला नहीं मिलता है। एजेंसी के अनुसार, प्रियंका गांधी इस बंगले के लिए 37 हजार रुपये प्रति महीने का किराया दे रही थीं। एजेंसी को एक अधिकारी ने बताया कि साल 2000 में ही ये नियम बना दिया गया था कि जिस व्यक्ति के पास SPG सुरक्षा नहीं है, उसे किसी तरह का सरकारी बंगला नहीं दिया जाएगा। पहले तय हुआ था कि इस श्रेणी में बंगले को मार्केट रेट से 50 फीसदी अधिक के किराये के रुप में दिया जाएगा, लेकिन बाद में इसे 30 फीसदी तक कर दिया गया।

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केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के बयान आने शुरू हो गए हैं। कांग्रेस प्रवक्‍ता चरण सिंह सप्रा ने एक चैनल से बातचीत में कहा, ‘यह कदम बदले की राजनीति को दिखाता है। यह मोदी सरकार का बदले वाला एटिट्यूड है।’ उन्‍होंने कहा कि वे (बीजेपी सरकार) कांग्रेस कार्यकर्ता को डी-मोटिवेट करना चाहते हैं। रणदीप सुरजेवाला का कहना है कि प्रियंका गांधी वाड्रा लगातार केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साध रही हैं। इसी वजह से मोदी सरकार ने बदले में ये फैसला लिया है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने भी इस फैसले को वापस लेने को कहा है। दूसरी ओर खबर है कि अब प्रियंका गांधी वाड्रा लखनऊ में शिफ्ट हो सकती हैं, क्योंकि आगे 2022 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में कांग्रेस अभी से तैयारी में जुट रही है।

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