कभी ऑक्सीजन नहीं तो कभी वैक्सीन खत्म, अपनी जिम्मेदारी कब समझेंगे अरविंद केजरीवाल?

दिल्ली में अब 18 साल से ऊपर वाले लोगों का वैक्सीनेशन बंद हो चुका है। अरविंद केजरीवाल का कहना है कि केंद्र ने वैक्सीन देना बंद कर दिया है जिसके चलते राज्य में फिलहाल टीकाकरण रोका जा रहा है।

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चित्र साभार: ट्विटर @ArvindKejriwal

आज के समय में अगर आपसे सवाल किया जाए कि कोरोना महामारी के अलावा देश के लिए सबसे घातक बीमारी कौन सी है तो आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। क्योंकि आज इस अदृश्य बीमारी से लोगों के जीवन को अस्त व्यस्त कर के रख दिया है। आप भी यही सोच रहें होंगे इससे खतरनाक बीमारी आज के समय में दूसरी कोई नहीं है। लेकिन इस संकट की घड़ी में चारों और नजर घुमा कर देखेंगे तो आपको कोरोना को टक्कर देने वाली अन्य बीमारी मिल ही जाएगी। ये है राजनीति की बीमारी। आप सोच रहे होंगे कि आखिर भारत जैसे लोकतांत्रिक देश मे राजनीति एक बीमारी कैसे हो सकती है? अब हम इसे बीमारी क्यों ना कहे? कुछ राज्य ऐसे है जिनके प्रतिनिधि इस बात का प्रमाण दे ही देतें है।

ज्यादा दूर मत जाइए, देश की राजधानी दिल्ली की ही बात कर लेते है। आम आदमी पार्टी के मुख्या और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज इस बात को परिभाषित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी की लोग राजनीति शब्द से इतनी नफरत क्यों करते है। अपना उल्लू सीधा करने और अपनी राजनीति चमकाने में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कोई जवाब नहीं है। हम ऐसा इसलिए नहीं कह रहे क्योंकि हम किसी सरकार के पक्ष में हैं, लेकिन आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में माहौल ही कुछ ऐसा बना दिया है कि आज हर कोई अरविंद केजरीवाल की आलोचना करने पर उतारू है। कभी ऑक्सीजन की किल्लत तो कभी वैक्सीन की कमी को लेकर सवाल करना, पत्रकारिता जगत भी आज अरविंद केजरीवाल की कार्यशैली को लेकर संकोच में आ गया है। अब CM अरविंद केजरीवाल ने ऐलान कर दिया है कि दिल्ली में 18 से ऊपर के लोगों का वेक्सीनेशन रोका जा रहा है क्योंकि दिल्ली के पास वैक्सीन नहीं है।

राजनीति करना कोई आप से सीखे

लाइमलाइट में रहना कौन पसंद नहीं करता? लेकिन बात जब दिल्ली के मुख्यमंत्री की होती है तो ऐसा लगता है जैसे मानो पब्लिसिटी अरविंद केजरीवाल के लिए ही बनी हो। कोरोना काल में ही राजनीति को सबसे बड़ा हथियार बनाकर दूसरी लहर में अरविंद केजरीवाल ने हर चीज़ का जिम्मेदार केंद्र सरकार को ठहराया। ये वही CM थे जिन्होंने पिछले साल प्रधानमंत्री से इस चीज़ पर निशाना साधा था कि वह इस बीमारी से निपटने के लिए राज्यों को खुली छूट नहीं दे रहें। अब खुली छूट दी तो इसका जिम्मेदार भी केंद्र सरकार को ठहराया गया। इस संकट की घड़ी में लोगों के बीच जाकर उनकी समस्याएं सुनने की बजाय अरविंद केजरवाल ने टीवी पर रहकर कोरोना मरीजों को ये विश्वास दिलाया कि उनके राज्य का मुख्यमंत्री कोई भी निर्णय लेने में सक्षम नहीं है। आप अपनी सुरक्षा के खुद जिम्मेदार है।

कल ऑक्सीजन नहीं थी, आज वैक्सीन नहीं है

दूसरी लहर के दौरान ऑक्सीजन संकट के बीच अरविंद केजरीवाल ने लगातार यही राग अलापे रखा कि दिल्ली को प्रयाप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। कभी 400 MT ऑक्सीजन, कभी 600 कभी 700 तो कभी 800 MT चाहिए, लेकिन क्या CM ने केंद्र सरकार की आलोचना के अलावा इस समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाया? जब केंद्र ने अंत में दिल्ली को ऑक्सीजन दी तो इसम क्रेडिट मुख्यमंत्री जी खुद ले गए। अब ऑक्सीजन के बाद मुख्यमंत्री जी की नई स्क्रिप्ट लिखी गयी है वैक्सीन की। अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए ऐलान कर दिया है कि उनके पास वैक्सीन खत्म हो चुकी है और केंद्र सरकार उन्हें वैक्सीन नहीं दे रही। यानी कि अब एक और नया प्रोपोगंडा।

दूसरे राज्य क्या कर रहें है?

ये बात तो देश की जनता भी समझ चुकी है कि 135-140 करोड़ की आबादी वाले भारत को वैक्सीनेशन करने में आसानी नहीं रहने वाली। यही कारण है उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, हरियाणा और अन्य राज्य वैक्सीन की कमी हो पूरा करने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाल रहे है और अपने राज्य में वैक्सीन की कमी को पूरा कर रहें है लेकिन अरविंद केजरीवाल टीवी पर आकर जनता को लगातार अपनी नाकामी से रूबरू करा रहें है। दिल्ली में एक बार फिर टीकाकरण को रोक दिया गया हैं। इसका जिम्मेदार कौन है? इस बात का जवाब तो राजनैतिक पार्टियों के पास ही होगा लेकिन एक मुख्यमंत्री को भी अपनी जिम्मेदारी और अपनी ताकत के बारे में जल्द।समझना होगा।

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