कुछ इस तरह से शरद पवार ने दी अमित शाह की “चाणक्य” नीति को मात, हर दावे को किया फेल

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महाराष्ट्र की राजनीति में अप्रत्याशित मोड़ तब आया जब कुछ ही दिनों पहले देवेंद्र फडणवीस ने 72 घंटो के अंदर मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर राजनीतिक गलियारे के बाजार को और गर्म कर दिया। अचानक रातों रात मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले देवेंद्र फडणवीस NCP प्रमुख शरद पवार की रणनीति और गेम प्लान के आगे टिक नहीं पाए और एनसीपी को तोड़ कर सरकार बनाने की भाजपा की नीति विफल हो गयी। सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि जल्द फ्लोर टेस्ट में सरकार बहुमत साबित करे और सीएम बनाने की तस्वीर साफ करे लेकिन फ्लोर टेस्ट से पहले ही देवेंद्र फडणवीस ने सरेंडर कर दिया। जिसके बाद साफ हो गया कि महाराष्ट्र में NCP, कांग्रेस और शिवसेना की गठबंधन सरकार देखने को मिलने वाली है और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री का चेहरा होंगे।

भले ही इस जीत को उद्धव ठाकरे खास तरह से देख रहे हो लेकिन इस बात को वो भी भली भांति जानते है कि इस पूरे खेल के पीछे शरद पवार का सबसे बड़ा दिमाग था।

शरद पवार की परिपक्वता के आगे झुके फडणवीस

अमित शाह की चाणक्य नीति के चलते देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार के साथ मिलकर सरकार बना ही ली थी लेकिन एनसीपी प्रमुख शरद पवार की आक्रामकता के आगे भाजपाइयों ने हथियार डाल दिए। जिस अजित पवार के सहारे देवेंद्र फडणवीस फ्लोर टेस्ट के एक दिन पहले तक मजबूत इरादों के साथ बयानबाजी कर रहे थे उन्होंने अचानक अजित पवार के बाद सीएम पद से इस्तीफा दे दिया।

शरद पवार ने जीती हारी हुई बाजी

जब देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली तो हर किसी ने मान लिया तब के अब NCP और शरद पवार का अस्तित्व खतरे में पड़ने वाला है। लेकिन अंत में शरद पवार ने अपनी गेम चेंजिंग नीति से सब कुछ पलट कर रख दिया। दरअसल महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए सबसे अहम नंबर्स का होना था। भाजपा भले ही सबसे बड़ी पार्टी जरूर थी लेकिन उन्हें एक अन्य पार्टी के सहयोग की सबसे ज्यादा जरुरत थी। शिवसेना पहले ही भाजपा से किनारा कर चुकी थी। कांग्रेस के साथ फडणवीस कभी नहीं जाते। ऐसे में NCP ही एक विकल्प मौजूद था। अजित पवार अपने विधायकों का समर्थन लेकर भाजपा के पास जा चुके थे लेकिन एक ही दिन में शरद पवार ने अपने 52 विधायकों को साथ लाकर दिखा दिया कि आज भी वही अपनी पार्टी के सबसे बड़े नेता है। NCP विधायको  का शक्ति प्रदर्शन देख अजित पवार को अंत में महसूस हो गया कि अपनी ही पार्टी से बगावत उन्हें भारी पड़ सकती है।

हर स्तर पर NCP से हारी भाजपा

भाजपा सरकार ने चुनाव से पहले ही एनसीपी से सीधे तौर पर जंग की शुरुआत कर दी थी। पहले उन्होंने NCP नेताओं में फुट डाली, इसके बाद ईडी का केस दर्ज दिया और आखिर में परिवार में फुट डालने की कोशिश की। लेकिन शरद पवार कहाँ चुप बैठने वाले थे। उन्होंने कानूनी और संवैधानिक तरीके से भाजपा को मात दी। या यूं कहें कि उनका ही खेल उन्ही पर भारी कर दिया। इस पूरे सियासी खेल ने एक बात साफ कर दी कि अगर भाजपा के पास चाणक्य नीति है तो शरद पवार के पास वो अनुभव है जो हर स्तर पर बड़ी चाणक्य नीति से पार पाने की क्षमता रखता है।

Image Source: Wikipedia

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