नई दिल्ली: दिल्ली के शाहीन बाग (Shaheen Bagh) में पिछले करीब 50 दिनों से नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ विरोध में लगातार विरोध प्रदर्शन चल रहा है। इसी प्रदर्शन के बीच एक 4 महीने की बच्चे की मौत भी हो गयी है। इस बच्चे की मौत के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना संज्ञान ले लिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सुनवाई करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने ये संज्ञान एक छात्रा की चिट्ठी मिलने के बाद लिया है। बच्चे की मौत के बाद इस मामले में बहादुरी पुरस्कार से सम्मानित हुई छात्रा जेन गुणरत्न सदावर्ते ने सुप्रीम कोर्ट को चिट्ठी लिखते हुए कहा था कि, “इस तरह के धरने प्रदर्शन में बच्चों को शामिल करने की इजाजत न दी जाए। यह अबोध मासूम बच्चों के जीवन के अधिकार का हनन है। भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, इसके लिए जरूरी है कि सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में गाइडलाइन बनाए।”
सुप्रीम कोर्ट अब सोमवार को शाहीन बाग में सड़क से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग वाली याचिका के साथ इस मामले पर भी सुनवाई करेगा।
प्रदर्शन के दौरान मृत हुए बच्चे के पिता अरशद ने बताया था कि -“हम 29 जनवरी को धरना-प्रदर्शन से देर रात वापस आए थे और करीब ढाई बजे बच्चे को दूध पिलाया था। हालांकि जब हम सुबह उठे तो देखा कि बच्चा बिल्कुल खामोश था। इसके बाद हम उसको बाटला हाउस क्लीनिक लेकर पहुंचे, लेकिन वहां हमें बोला गया कि इसे होली फैमिली अस्पताल ले जाओ। हमारी उस अस्पताल में जाने की हैसियत नहीं थी, इसलिए हम बच्चे को अल शिफा अस्पताल ले गए। वहां जब डॉक्टर ने देखा तो कहा कि बच्चे की मौत पहले ही हो चुकी है।”
आपको बता दें कि बच्चे की मौत के बाद उसके परिजनों ने इसके लिए मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना था कि अगर मोदी सरकार ये नागरिकता संशोधन कानून ना लाती तो उन्हें इस तरह बच्चे को लेकर प्रदर्शन में शामिल नहीं होना पड़ता। और फिर बच्चे की मौत भी नहीं होती।