जानिए साइकिल की जगह क्या होना चाहिए समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह, पूर्व डीजीपी बृजलाल ने सुझाया नया नाम

उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद बृजलाल ने अपने एक बयान में बताया है कि समाजवादी पार्टी को अपना चुनाव चिन्ह साइकिल के स्थान पर LMG कर लेना चाहिए। क्योंकि समाजवादी पार्टी में गुंडे और तस्करों को संरक्षण दिया जाता है।

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समाजवादी पार्टी में उत्तर प्रदेश की सत्ता में वापसी के लिए काफी संघर्ष करती हुई दिखाई दे रही है। सपा के द्वारा छोटे-छोटे मुद्दों पर भारतीय जनता पार्टी को घेरने का काम किया जा रहा है। धरातल पर योगी आदित्यनाथ और केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलना, जगह-जगह प्रदर्शन कर जनता को अपनी और आकर्षित करना समाजवादी पार्टी की चुनावी रणनीतियों में शामिल हो चुका है। इसी बीच उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने समाजवादी पार्टी को लेकर एक बड़ा बयान दिया है। डीजीपी बृजलाल ने बताया है कि समाजवादी पार्टी का चुनाव चिन्ह साइकिल नहीं होना चाहिए। अब ऐसे में आप सोच रहे होंगे कि यदि चुनाव चिन्ह साइकिल नहीं होना चाहिए तो क्या हो…. दरअसल आपको बता दें कि पुर उत्तर प्रदेश के पूर्व पुलिस महानिदेशक और भारतीय जनता पार्टी से राज्यसभा सांसद बृजलाल ने अखिलेश यादव के बुलडोजर वाले बयान पर पलटवार करते हुए कहा है कि बुलडोजर अपराधियों और उनकी नाजायज सम्पत्ति पर चलता है और योगी सरकार में ऐसे लोगों पर बुलडोजर चलता रहेगा। बुधवार को जारी बयान में उन्होंने कहा है कि सपा का चुनाव चिन्ह साइकिल की जगह ‘एलएमजी’ होना चाहिए जो कि बिल्कुल सही है।

उन्होंने कहा कि जनवरी 2004 में मुख्तार अंसारी ने कृष्णानंद को मारने के लिए बाबूलाल यादव से एलएमजी मंगवाई थी जो मुख्तार के गनर मुन्ना यादव का भांजा था। शैलेन्द्र सिंह डिप्टी एसपी थे, एलएमजी और कारतूस बरामद हुए थे। पोटा का मुकदमा कायम हुआ था। जैसे मुकदमा कायम हुआ, एसटीएफ पर आफत आ गई। एसएसपी एसटीएफ बदल दिए गए और शैलेन्द्र सिंह को प्रताड़ित किया गया कि उनको इस्तीफा देना पड़ा।

उन्होंने कहा है कि यही एलएमजी मुख्तार अंसारी ने कृष्णानंद राय की हत्या के लिए मंगवाई थी जो एसटीएफ ने पकड़ी थी, उसके बाद अखिलेश यादव के पिता तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने ‘पोटा’ से मुख्तार को बचा लिया था। अपने ट्विट में बृजलाल ने कहा है कि मुख्तार अंसारी के गनर मुन्ना यादव और फौज से चुराकर एलएमजी लाने वाले उसके भांजे बाबूलाल यादव को दस-दस साल की सजा हो गई। मुख्तार पर कार्यवाही नहीं हुई और कृष्णानंद राय की दिसम्बर 2005 में तत्कालीन सपा सरकार के कार्यकाल में हत्या कर दी गई। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा अपराधियों की पार्टी है इसलिए उनके लिए ‘एलएमजी’ ही सटीक चुनाव चिन्ह होगा क्योंकि यह पार्टी अपराधियों को पालती है।

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