जयपुर l राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच टकराव अब भी खत्म नहीं हो रहा है। मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर दोनों नेताओं के बीच सरकार का शपथ ग्र्रहण हुआ था, तभी से टकराव जारी है। हालांकि उसी समय से राज्य का मुख्यमंत्री बनने की दोनो नेताओ में होड़ लगी थी पर पार्टी के वरिष्ठ नेता और राजनीतिक अनुभव के आधार पर अशोक गहलोत को राज्य का पार्टी आलाकमान ने सीएम घोषित कर दिया था।
हमें जानकारी में सामने आया है कि अशोक गहलोत सरकार के द्वारा पिछले साल समाचार पत्रों को करीब 24 करोड़ के विज्ञापन जारी किए गए थे लेकिन उनमें से एक भी विज्ञापन में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का फोटो नहीं होने के कारण सवाल खड़े हो रहे हैं। सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की जानकारी के अनुसार गहलोत सरकार ने सत्ता में आने के बाद से विभिन्न मीडिया समूह को लगभग 24 करोड के विज्ञापन दिए थे, पर किसी भी विज्ञापन में उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का फोटो जारी नहीं किया गया है।
अब जबकि, मध्यप्रदेश में कांग्रेस राजनीतिक संकट से जूझ रही है और राजस्थान में भी उपमुख्यमंत्री और पीसीसी चीफ सचिन पायलट के पार्टी छोड़ने और भाजपा के साथ जाने की अफवाहे जोरों पर है, तब विज्ञापन का यह मामला जोर पकड़ने लगा है। हालांकि, इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है कि सरकार की तरफ से जो विज्ञापन जारी किए जाएं, उनमें उपमुख्यमंत्री का फोटो हो या नहीं हो, पर नैतिकता के नाते जब किसी राज्य में पावर के दो सेंटर बने हुए हो तो उसको संतुलित करने के लिए इस तरह का कदम उठाकर राज्य सरकार अच्छा मैसेज दे सकती है। दोनों नेताओं के बीच दूरियां हैं, लेकिन इन दूरियों को बढ़ाने के लिए विपक्ष के नाते भारतीय जनता पार्टी भी इन खबरों को हवा देकर आग में घी डालने का काम कर रही है।