कोरोना वायरस महामारी का कहर पूरी दुनिया में पैर पसार चुका है। इस महामारी को विश्व स्तर पर फैलने का सबसे बड़ा कारण है कि अभी तक इसके लिये कोई वैक्सीन या कारगर दवा सामने नहीं आई है। सोशल डिस्टेंसिंग, मुंह पर मास्क, बार-बार साबुन से हाथ धो कर और सैनिटाइज करके हम खुद को इस महामारी से बचा सकते हैं। अभी भी कई लोग हैं जिसे महामारी के लक्षण का सही ज्ञान नहीं है।
इस बीच एक अध्ययन से पता चला है कि कोरोना वायरस महामारी के दो खास लक्षण हैं जो इस बात का सबूत देता है कि आप कोरोना पीड़ित हैं। यह लक्षण है – खांसी व बुखार। शोधकर्ताओं के मुताबिक खांसी और बुखार ही ऐसे दो लक्षण हैं जो सबसे ज्यादा मरीजों में पाए गए हैं। जर्नल PLoS ONE में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक शोधकर्ताओं ने कोविड-19 के कई लक्षणों का अध्ययनों का पुन र्आवलोकन किया जिसमें कोविड-19 के लक्षणों के बारे में पता लगाया था। इस अध्ययन के बाद शोधकर्ताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की ओर से जारी लक्षणों की उस सूची की भी समीक्षा की जो उसकी ओर से इस महामारी के फैलने की शुरुआत में जारी की गई थी।
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इसके बाद में भी हुए अध्ययनों में थकान, सूंघने की क्षमता खोना, सांस लेने में तकलीफ, जैसे कई लक्षणों को प्रमुख लक्षणों में शामिल किया था। जानकारी के मुताबिक इस अध्ययन में यूके की लीड्स यूनिवर्सिटी सहित सभी शोधकर्ताओं ने 148 अध्ययनों के आंकड़ों को मिलाकर अध्ययन किया और यूके, चीन और अमेरिका सहित 9 देशों के 24 हजार मरीजों के साझा लक्षणों की पहचान की।
( 1) शोधकर्ताओं का कहना है कि यह अब तक कोविड-19 के लक्षणों पर की गई सबसे बड़ी समीक्षा है। शोधकर्ताओं ने यह भी माना कि एक बड़ी संख्या में बहुत से लोग ऐसे हैं जिनमें कोई लक्षण दिखाई नहीं देता है।
( 2) लीड्स इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च में क्लीनिकल रिसर्च फेलो और सर्जन रेकी वेड का कहना है कि इस विश्लेषण से इस बात की पुष्टि हुई है कि जो लोग कोविड-19 के टेस्ट में पॉजिटिव पाए गए हैं उन मरीजों में खांसी और बुखार ही सबसे अहम लक्षणों में एक पाए गए।
(3) ऐसे किया गया रिसर्च वेड का कहना है यह बहुत महत्वपूर्ण बात है क्योंकि इससे लक्षण दिखाई देने वाले मरीजों का क्वारंटाइन करना सुनिश्चित किया जा सकता है। जिससे उनकी वजह से दूसरे संक्रमित न हों।
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(4) अध्ययन में पाया गया कि 24,410 मामलों में से 78 प्रतिशत लोगों को बुखार था तो वहीं 57 प्रतिशत लोगों को खांसी थी, लेकिन इनमें काफी विविधता था। जैसे नीदरलैंड में खांसी के मरीजों की संख्या 76 प्रतिशत थी तो वहीं दक्षिण कोरिया में केवल 18 प्रतिशत। कुल मामलों में से 31 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्हें थकान महसूस हो रही है। 25 प्रतिशत ने सूंघने की क्षमता खो दी जबकि 23 प्रतिशत लोगों को सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई।