देशभर में लगातार कृषि संशोधन अधिनियम का विरोध हो रहा है कांग्रेस और विपक्षी दल लगातार देश की सरकार को किसान विरोधी करार देने में लगे हुए हैं। इसी बीच कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी ने कांग्रेस शासित राज्यों को पत्र लिखकर कहा था कि कृषि राज्य का विषय है और राज्यों को इन में संशोधन पर विचार करना चाहिए। हालांकि बिहार चुनाव से पहले कांग्रेस ने इन कृषि कानूनों को बड़ा मुद्दा बना लिया है जिससे निश्चित रूप से कांग्रेस चुनावों में अपना फायदा ढूंढ रही है। सूत्रों के अनुसार राजस्थान के मुख्यमंत्री कार्यालय के स्तर पर इसकी चर्चा भी शुरू हो गई है हालांकि आधिकारिक रूप से अभी तक कुछ भी तय नहीं हुआ है, लेकिन यह माना जा रहा है कि गहलोत सरकार निश्चित रूप से इन कानूनों में बदलाव के लिए अध्यादेश ला सकती है।
देशभर में कांग्रेस शासित राज्य इन कानूनों को वापस लेने के मांग को लेकर विरोध तक वाला मना रहे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत व प्रदेश सिंह गोविंद सिंह ने इन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर कल राज्यपाल कलराज मिश्रा को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा था। 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी की जयंती पर भी प्रदेश भर में इन कानूनों का विरोध होगा। राजस्थान उप नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने मोदी सरकार के कृषि विधेयकों को राज्य में लागू न करने के कांग्रेस के फैसले पर और नया कानून बनाने के निर्णय पर आश्चर्य प्रकट किया। राठौर ने बताया कि किसानों के दम पर दशकों तक शासन करने वाली कांग्रेस ने किसानों के कल्याण के बारे में कभी नहीं सोचा।
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पार्टी के निर्णय राजस्थान सहित शासित प्रदेशों की विधानसभा में पारित कर केंद्र सरकार की किसानों के हित में लाए गए विधेयक को रोकने का निर्णय न केवल कांग्रेस के लिए आत्मघाती होगा, बल्कि देश के किसानों की खुशहाली के मार्ग को रोकने में कांग्रेस का गलत कदम साबित होगा।
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