लखीमपुर खीरी कांड की आग अब धीरे-धीरे शांत हो रही है लेकिन विपक्षी नेता इस मामले को शांत होता देख नहीं पा रहे हैं। क्योंकि मुद्दे विहीन हो चुके पूरे विपक्ष के लिए लखीमपुर खीरी ही एकमात्र ऐसा मुद्दा बचा है जिसे लेकर विपक्ष प्रदेश में राजनीति को धार दे सकता है।कहा जा रहा है कि सभी विपक्षी दल अब योगी सरकार को घेर लेंगे क्योंकि आशीष शर्मा भारतीय जनता पार्टी की सरकार के केंद्रीय गृहमंत्री अजय मिश्रा के बेटे हैं। राजनीतिक दलों के रवैये से यह भी साफ है कि वे न तो जांच का इंतजार करने वाले हैं और न ही उसके नतीजे से संतुष्ट होने वाले हैं।
हालांकि यह बात सही है कि उच्चतम न्यायालय ने लखीमपुर कांड में हस्तक्षेप किया, लेकिन यह कहना कठिन है कि उसका दखल विपक्षी दलों को अपनी राजनीति करने से रोक पाएगा? लेकिन किसानों के नाम पर खुलेआम वह पार्टी भी राजनीति कर रही है जिसने सत्ता में आने पर उन्हीं कानूनों को बनाने का वादा किया था जो मोदी सरकार ने बनाए हैं।लखीमपुर खीरी कांड के बाद विपक्षी दल और किसान संगठन अब एक छत के नीचे आ चुके हैं। इन दोनों का केवल एक मात्र लक्ष्य है किसी भी प्रकार भारतीय जनता पार्टी की सरकार को अस्थिर किया जाए। और प्रदेश में किसी ऐसे व्यक्ति को सत्ता में बैठाया जाए जो इन नेताओं के इशारों पर काम करे। वरना जम्मू कश्मीर में कश्मीरी पंडितों की निर्मम हत्याओं पर कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी ना तो दुखी दिखाई देते हैं और ना ही उन लोगों से मिलने का कष्ट कर पाते हैं।
उत्तर प्रदेश,दिल्ली,पंजाब और हरियाणा तक फैला हुआ किसानों का यह आंदोलन भविष्य में क्या रूप लेगा इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता? लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बाद अब एक बात साफ हो चुकी है कि इस आंदोलन में किसान का केवल चेहरा है बाकी सभी लोग अपने अपने एजेंडे को लेकर प्रदर्शन करने में लगे हुए हैं।