देश में जबसे कोरोना की दूसरी लहर आई है तब से लेकर आज तक विपक्षी पार्टियां सिर्फ केंद्र को कोसने का काम कर रही है। इसके अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं रहा है। विदेशों से आने वाली मदद को लेकर भी यह पार्टियां अलग-अलग तरह के विचार रख रही है, और भाजपा का विरोध करते-करते राष्ट्र विरोधी होने का प्रमाण भी दे रही हैं।
संकट के समय में देशवासी अपने अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने पड़ोसियों और अपने लोगों की सहायता कर रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ आम जनता के वोट से सत्ता पाने वाले और तरह-तरह की सुविधाएं पाने वाले राजनेता आज जनता से कोसों दूर दिखाई देते हैं। केंद्र के द्वारा जो नीतियां बनाई जा रही हैं उनका विरोध करने के लिए पार्टी अब सामने आ चुकी है लेकिन जनता की सेवा करने के लिए कोई पार्टी घर से बाहर निकलने को तैयार नहीं है। कुछ समय पहले ही राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ कांग्रेस के नेता शशि थरूर ने ट्वीट किया, ‘नया भारत, जहां दुनिया की हमदर्दी पाना उपलब्धि मानी जा रही है। हमारी सरकार की नाकामी के चलते भारत को विदेश से मदद लेनी पड़ रही है।’
थरूर साहब जनवरी और आज के हालात में फ़र्क़ बताते हुए कहते हैं कि कुछ महीने पहले प्रधानमंत्री के समर्थक डींगें हांकते थे कि भारत 150 देशों की मदद कर रहा है, और आज यही समर्थक हांक रहे हैं कि 150 देश भारत की मदद कर रहे हैं। सभ्यता और शिक्षा को दरकिनार करते हुए इसके बाद शशी थरूर कहते हैं कि हम यानी भारत आज अपने घुटनों पर हैं और कटोरी लेकर दुनिया से भीख मांग रहे हैं। राज्यसभा सांसद भूटान के बारे में कहते हैं कि भारत की मदद पर लम्बे समय तक आश्रित रहा यह छोटा सा देश भी भारत को दो ऑक्सीजन जनरेटर देने की पेशकश रहा है।
उपकार के दबे हुए देश कर रहे हैं भारत की मदद
शशि थरूर को शायद यह नहीं पता है या फिर यह कहना नहीं चाहते हैं कि जो देश आज भारत की मदद कर रहे हैं वे सभी भारत के उपकारों के तले दबे हुए हैं। जब दुनिया हाईड्रोक्लोरोक्विन नहीं थी तब हमने संकट के समय में दुनिया तक इस दवाई को पहुंचाने का काम किया था। दुनियाभर को पीपीई और मास्क भेजने वाला देश अगर आज संकट में है, तो विदेशों से मदद लेना कौन सा गुनाह है? यह बात दावे के साथ कही जा सकती है कि जो हालात आज भारत में है अगर ऐसे हालात अमेरिका में होते हैं। अमेरिका की हालत इससे भी बुरी हो गई होती।