भारत का एक ऐसा शातिर ठग, जिस ने राष्ट्रपति के फर्जी हस्ताक्षर कर बेच दिया था ताजमहल और लाल किला

नटवरलाल का नाम शायद आज के युग में बहुत सारे लोग नहीं जानते होंगे लेकिन पुराने समय में नटवरलाल का नाम प्रत्येक व्यक्ति जानता है।कई लोगों का कहना है कि नटवरलाल के 50 से भी अधिक नाम थे।

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कहा जाता है कि धरती पर प्रत्येक व्यक्ति किसी न किसी विशेष गुण के साथ जन्म लेता है। जन्म लेने के बाद प्रत्येक व्यक्ति का कोई ना कोई उद्देश्य होता है कि उसे अच्छा गायक बनना है उसे अच्छा चित्रकार बनना है या उसे अच्छा नेता बनना है। लेकिन इस लेख में हम जिस व्यक्ति की बात कर रहे हैं वह बना तो एक चोर और एक ऐसा शातिर चोर जिसे कोई भी नहीं पहचान पाता था। नटवरलाल का जन्म बिहार के सिवान में हुआ था। नटवरलाल का वास्तविक नाम मिथिलेश कुमार श्रीवास्तव था। हालांकि लोग बताते हैं कि वह 50 से अधिक नामों से भी जाना जाता था।

नटवरलाल ने चोरी की शुरुआत 1000 रूपये से की थी। वह लोगों के फर्जी हस्ताक्षर करने में माहिर था। उसने अपने पड़ोसी के नकली हस्ताक्षर करके बैंक से 1000 रूपये निकाल दिए थे। नटवरलाल ने भविष्य में वकालत की पढ़ाई की लेकिन वकालत में उनका मन नहीं लगा।फिर उन्होंने लोगों को ठगने का नया धंधा शुरू किया।

नटवरलाल एक ऐसा व्यक्ति था जो बहुत ही चपल स्वभाव का था। नटवरलाल की बातों में कोई भी आ जाता था और वह किसी को भी ठग लेता था। नटवरलाल रूप बदलने में भी माहिर था इसीलिए पुलिस ज्यादा दिनों तक उसे गिरफ्तार नहीं कर पाती थी। कुछ लोग तो यह भी बताते हैं कि कई विदेशियों को उसने लाल किला और ताजमहल भी बेच दिया था। उसने भारत के राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करके राष्ट्रपति भवन को भी बेचा था।नटवरलाल पर धोखाधड़ी,चोरी और ठगने के आरोप में 100 से ज्यादा मुकदमे दर्ज हुए।

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