पश्चिम बंगाल | कोरोना वायरस के लगातार बढ़ते संक्रमण को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन की तारीख अब तीन मई तक बढ़ा दी है। बंद के कारण सबसे ज्यादा परेशानी दिहाड़ी मजदूरों और गरीबों को हो रही है। अभी 14 अप्रैल को मुम्बई रेलवे स्टेशन पर हजारो की संख्या में मजदूरों के इकट्ठा होने की खबर से हड़कम्प मच गई थी। वहीं अब अगली ऐसी ही खबर पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले से सुनने में आ रही है। यहाँ के डोमकल नगर पालिका क्षेत्र के सैकड़ों लोगों ने 20 दिनों से खाना नहीं मिलने का आरोप लगाया है। उन्होंने बुधवार को सुबह तीन घंटे के लिए एक स्टेट हाईवे को जाम कर दिया और प्रदर्शन किया।
बेरहामपुर-डोमकल राज्य राजमार्ग पर प्रदर्शन करने वालों में 400 से अधिक परिवार की महिलाएं और बच्चे शामिल थे। इन आंदोलनकारियों ने मास्क भी नहीं पहने थे। डोमकल नगरपालिका के वार्ड नंबर 10 के निवासी महादेव दास ने बताया कि, “हमारे क्षेत्र के राशन डीलर दुलाल साहा ने पिछले दो सप्ताह में मुट्ठी भर परिवारों को मात्र एक किलो चावल दिया। यह 4-5 सदस्यों के परिवार को खिलाने के लिए पर्याप्त नहीं है।” डोमकल नगर पालिका के अध्यक्ष ने मौके पर पहुंचकर इस बात को स्वीकार किया कि राशन डीलरों ने गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) खंड में खाद्य आपूर्ति का कोटा नहीं बढ़ाया था। प्रत्येक राशन कार्ड धारक को एक महीने में पांच किलो चावल और पांच किलो आटा मिलना चाहिए।
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि बंगाल में भोजन की कोई कमी नहीं है। गरीबों को मुफ्त में राशन दिया जा रहा था। ऐसे में अगर राज्य के भीतर किसी को भी खाने की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और वो इस तरह से खुलेआम भीड़ में आकर प्रदर्शन कर रहे हैं तो ये कोरोना के खिलाफ चल रही जंग के लिए बहुत घातक सिद्ध हो सकता है।