चीन के इशारों पर नाचने वाला नेपाल अब पूरी तरह से चीन की नीतियों पर काम कर रहा है। अब नेपाल अपने देश की विवादित नक्शे को गूगल और भारत समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भेजने की तैयारी में है। यह वही नक्शा है जिसमें नेपाल ने भारतीय क्षेत्र लिपुलेख काला पानी और लिंपियाधुरा को अपना हिस्सा बताया है। नेपाल की भूमि प्रबंधन मंत्री पदमा अर्याल बताया है कि भारत और संयुक्त राष्ट्र की एजेंसियों समेत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को नेपाल का यह नया नक्शा भेजा जाएगा।
नेपाली मापन विभाग के सूचना अधिकारी दामोदर के द्वारा यह बताया गया कि नेपाल के नए नक्शे की 4000 कॉपियां प्रकाशित की जाएंगी जिसके लिए कमेटी का गठन किया गया है। मापन विभाग से खबर आ रही है कि देश में वितरित करने के लिए 25000 कॉपी अभी इस विवादित नक्शे की प्रिंट कराई गई है। नेपाल में 20 मई को एक विवादित नक्शा जारी किया था जिसमें नेपाल ने भारत के कालापानी लिपुलेख और लिम्पियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल कर लिया था।
विवादित नक्शे को 13 जून को नेपाल की संसद में पास करा लिया गया। इस विवादित नक्शे को संसद में पास करने के बाद केपी शर्मा ओली अपनी ही पार्टी के नेता द्वारा निशाने पर लिये जा रहे हैं और अब उनकी ही पार्टी के वरिष्ठ नेता उन्हें प्रधानमंत्री पद से हटाने की तैयारी में लगे हुए हैं।
एक तरफ लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेना आमने-सामने है जिसका असर लगातार दोनों देशों पर पड़ रहा है। लेकिन इसी बीच चीन ने भारत पर दबाव बनाने के लिए चीन के लहासा से नेपाल के काठमांडू तक 2550 करोड़ की लागत से रेलवे लाइन बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। इस रेलवे लाइन को आगे भारत-नेपाल सीमा के नजदीक मौजूद लुंबिनी से भी जोड़ा जाएगा।
यह चीन की डेवलपमेंट वाली युद्ध नीति है। दुनिया जानती है कि नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली चीन के वफादार हैं और चीन ओली की कुर्सी को हमेशा बचाता आया है। इस रेल लाइन के लिए चीन 300 मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी कि 2550 करोड़ रुपए खर्च करेगा।
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