“जिसका जलवा कायम है उसका नाम मुलायम है”, जानिए उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम का राजनीतिक सफर

आज उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री रहे मुलायम सिंह यादव का जन्मदिन है। मुलायम सिंह यादव का जन्म इटावा के सैफई गांव में हुआ था और उन्होंने 7 बार उत्तर प्रदेश के विधायक के तौर पर कार्य किया आइए जानते हैं कैसा रहा उनका राजनीतिक जीवन?

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उत्तर प्रदेश राजनीति के हिसाब से सबसे बड़ा प्रदेश है। भारत के कई प्रधानमंत्री उत्तर प्रदेश से गए थे और उत्तर प्रदेश के आशीर्वाद के बाद ही उन्हें भारत के प्रधानमंत्री का पद प्राप्त हुआ। उत्तर प्रदेश में कई कद्दावर नेताओं का जन्म हुआ है लेकिन वर्तमान समय में मुलायम सिंह यादव को उत्तर प्रदेश में सबसे बड़े और कद्दावर नेता के रूप में माना जाता है। मुलायम सिंह यादव का जन्म 22 नवंबर 1939 को इटावा जिले के सैफई गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम मूर्ति देवी और पिता का नाम सुधर सिंह था। अपने पांच भाई-बहनों में रतन सिंह से छोटे और अभय राम सिंह शिवपाल सिंह, रामगोपाल सिंह और कमला देवी से बड़े मुलायम सिंह यादव का जीवन बहुत संघर्षपूर्ण रहा लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने सत्ता की कुर्सी पर अपना हक जमा लिया।

राजनीति में आने से पहले मुलायम सिंह यादव ने आगरा विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर किया।उन्होंने जैन कॉलेज करहल मैनपुरी से बीटीसी करने के बाद कुछ दिनों तक शिक्षक के तौर पर कार्य किया हालांकि उन्हें राजनीति में अपना हाथ आजमाना था तो वे आए और प्रदेश से लेकर केंद्र तक की राजनीति में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया। यह बताया जाता है कि मुलायम सिंह के पिता सुधर सिंह अपने बेटे को पहलवान बनाना चाहते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वे साल 1989 से 1991,1993 से 1995 2003 से 2007 तक उत्तर प्रदेश के तीन बार मुख्यमंत्री बने। बाद में 2012 के चुनावों के बाद उन्होंने अपने बेटे अखिलेश यादव को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया। केंद्र की राजनीति में भी उनका सक्रिय योगदान रहा। 1996 1998 में भारत के रक्षा मंत्री बने और 1974 से 2007 के बीच 7 बार उत्तरप्रदेश के विधायक चुने गए और विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ गठबंधन करते हुए साल 1992 में उन्होंने अपने द्वारा स्थापित राजनीतिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बने और उनके नेतृत्व में उनकी पार्टी ने कई बार जीत हासिल की।

2012 के बाद जब 2017 का विधानसभा चुनाव होना था,उससे पहले ही समाजवादी पार्टी में फूट पड़ी और मुलायम सिंह यादव पर पुत्र मोह परिवारवाद जैसे गंभीर आरोप लगने लगे। मुलायम सिंह यादव एक तरफ अपने बेटे अखिलेश यादव का साथ नहीं छोड़ना चाहते थे वही अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को भी पीछे छोड़ने का मन नहीं था। इसीलिए विवादों में घिर कर मुलायम सिंह यादव पार्टी के संरक्षक बन गए और पार्टी की कमान पूरी तरह से अखिलेश यादव के हाथों में आ गई। वर्तमान समय में समाजवादी पार्टी बहुत कठिन समय से गुजर रही है क्योंकि समाजवादी पार्टी के पास ना तो अधिक संख्या में विधायक हैं और ना ही सांसद!.. अब देखना यह होगा कि क्या मुलायम सिंह यादव अपने बेटे अखिलेश यादव को समझाते हुए पार्टी को प्रदेश में दोबारा स्थापित करेंगे? या फिर प्रदेश में एनडीए अपनी धाक जमा लेगा।

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