किस तरह अपनी भाषण कला में लोगों को बांध देते थे शब्दों के जादूगर पूर्व प्रधानमंत्री अटल जी

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पूर्व प्रधानमंत्री कवि ह्रदय अटल बिहारी वाजपेयी एक ऐसे व्यक्ति थे, जिनके व्यक्तित्व को शब्दों में वर्णित करना असंभव है। उनका व्यक्तित्व उनकी पहचान थी। पूरी ताकत के साथ अपनी बात रखते थे और लोगों को अपने भाषणों में डुबा देते थे। अटल बिहारी वाजपेई भाषा के अद्भुत जानकार थे, वे राजनीतिज्ञ तो थे ही लेकिन साथ-साथ उनका ह्रदय एक कवि का था।

एक कवि का राजनैतिक अवतार

कविता और राजनीति में एक बहुत बड़ा फर्क होता है। कविता और राजनीति एक दूसरे के 180 अंश के कोण पर होते हैं। कविता कहती है यदि आपके ह्रदय में कोई भाव उत्पन्न होता है तो उसे लोगों के सामने बयान कर दो और राजनीति कहती है कि आपके अंदर कितना भी बड़ा घाव हो लेकिन आपको उसे लोगों के सामने प्रस्तुत नहीं करना है। यह राजनीति का एक सामान्य नियम होता है।

लेकिन अटल जी के व्यक्तित्व की यही सबसे प्रमुख बात थी कि उन्होंने अपने विरोधियों को भी अपने भाषण से अपना प्रशंसक बना लिया। अटल जी जब अपने भाषणों को मुहावरों और कविताओं के साथ देना शुरू करते थे, तो उनके विपक्षी भी उनके साथी बनकर उनकी बात सुनने के लिए तैयार हो जाते थे।

अटल जी के अमर भाषण

आज हम अटल जी के कुछ भाषणों का जिक्र करने जा रहे हैं। जिसके बाद दुनिया उनके भाषणों की और उनके व्यक्तित्व की फैन हो गई थी।

“उसूलों पर अगर आंच आए तो टकराना जरूरी है,
जिंदा हो तो जिंदा नजर आना जरूरी है!”

1. अटल बिहारी वाजपेयी उसूलों पर राजनीति करने वाले राजनेता थे। उनका हृदय बहुत ही कोमल था इसीलिए उन पर हर बात का असर पड़ता था। एक बार सत्ता के सवाल पर पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेई ने संसद में खड़े होकर कहा था, “मैं 40 साल से इस सदन का सदस्य हूँ, सदस्यों ने मेरा व्यवहार देखा है!..मेरा आचरण देखा है!.. लेकिन पार्टी तोड़कर सत्ता के लिए नया गठबंधन करके अगर सत्ता हाथ में आती है, तो मैं ऐसी सत्ता को चिमटे से भी छूना पसंद नहीं करूंगा!..”

2. 31 मई सन 1996 को संसद में अटल बिहारी बाजपेई ने ऐसा भाषण दिया जो उनके साथ-साथ सदियों के लिए अमर हो गया। सदन में पंडित अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, “कई बार यह सुनने में आता है कि वाजपेई तो अच्छा है! लेकिन पार्टी खराब है, अच्छाँ! तो इस अच्छे वाजपेई का आप क्या करने का इरादा रखते हैं?”

3. अपने इस्तीफे पर अटल बिहारी बाजपेई ने कहा था, “आज मैं प्रधानमंत्री हूं थोड़ी देर बाद प्रधानमंत्री नहीं रहूंगा! बनते समय मेरा हृदय आनंद से उछलने लगा, ऐसा नहीं हुआ और ऐसा भी नहीं है कि सब कुछ छोड़-छाड़ कर जाने का मुझे कोई दुख नहीं होगा!”

4. पार्टी के संघर्ष के बारे में अटल बिहारी बाजपेई ने कहा था, “हमारे प्रयासों की पिछले 40 सालों की साधना है, यह कोई आकस्मिक जनादेश नहीं है। यह कोई चमत्कार नहीं हुआ है!… हमने मेहनत की है!…हम लोगों के बीच गए हैं.. हमने संघर्ष किया है। यह पार्टी 365 दिन चलने वाली पार्टी है। यह कोई चुनाव में कुकुरमुत्ता की तरह खड़ी होने वाली पार्टी नहीं है!”

5. पोखरण में परमाणु परीक्षण के बाद अटल बिहारी बाजपेयी ने एक भाषण दिया था। उस भाषण में अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, “पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 1976 में जब परमाणु परीक्षण किया था तो हमने उसका समर्थन किया था! क्योंकि वह देश की रक्षा के लिए किया गया था… उन्होंने कहा, “क्या रक्षा के मामले में हमें आत्मनिर्भर नहीं होना चाहिए?.. वाजपेयी जी ने यूरोप का उदाहरण देकर कहा कि पोखरण अपनी संतुष्टि के लिए नहीं था, आर्थिक प्रतिबंध हमें आगे बढ़ने से नहीं रोक सके, रक्षा संबंधी फैसले करने के लिए हमें कोई नहीं रोक पाया!.. लेकिन परीक्षण के साथ हमने यह भी ऐलान किया कि हम परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने की पहल नहीं करेंगे! हम ने यह भी कहा कि जिसके पास यह हथियार नहीं है, हम उसके खिलाफ भी इसका उपयोग नहीं करेंगे।”

वास्तव में अटल बिहारी बाजपेई राजनीति के आखिरी व्यक्ति थे। जिन्होंने भारतीय राजनीति की मर्यादा में रहते हुए भारत की अस्मिता और भारत के स्वाभिमान की रक्षा की थी। शब्दों का ऐसा जादूगर मां सरस्वती का ऐसा पुत्र, कई वर्षों की तपस्या के बाद किसी देश को मिलता है। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की द्वितीय पुण्यतिथि पर हम उन्हें शत-शत नमन करते हैं। उनकी पुण्यतिथि पर हम याद करते हैं, प्रधानमंत्री के उस भाषण के अंश को जिसमें अटल जी ने कहा था, “सत्ताएं आएंगी, पार्टियां बनेगी, बिगड़ेगी, मगर यह देश रहना चाहिए!..इस देश का लोकतंत्र रहना चाहिए।”

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