कांग्रेस पार्टी का इतिहास रहा है कि ये पार्टी चंद लोगों पर ही निर्भर रहती है। खैर इस विषय पर बहस अक्सर चलती रहती है लेकिन अब राजस्थान में कांग्रेस की इस शैली ने एक बार फिर विवाद खड़े कर दिए है। विधानसभा चुनावों में मिली हार के बाद अब पार्टी के दिग्गज विधायकों ने कांग्रेस की चिंता को और बढ़ा दिया है। विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे के बाद पार्टी विधायक वेद प्रकाश सोलंकी का मुखर होना पार्टी के लिए राजस्थान में अच्छे संकेत नहीं है। इन सभी विधायकों का पार्टी से नाराज होने के पीछे का कारण पिछले काफी समय से लंबित पड़े पार्टी के निर्णय, मंत्रिमंडल विस्तार और दूसरी राजनीतिक नियुक्तियां नहीं होने के कारण है।
पार्टी के नेताओं का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को जानबूझकर टाला जा रहा है। ऐसे में कोई इतने समय तक इस माहौल में कैसे काम कर सकता है। छह बार विधायक रहे पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी का इस्तीफा और दिग्गज नेता वेद प्रकाश सोलंकी के बगावती सुर का भी यही कारण माना जा सकता है। वेद प्रकाश सोलंकी ने तो यहां तक कह दिया है कि बहुत से विधायकों की ऐसी ही हालत है। कई विधायक अंदर ही अंदर घुट रहे हैं तो कई मजबूरी के कारण चुप हैं, अगर ऐसा ही चलता रहा तो जल्द एक बड़ा गुट गहलोत सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल सकता है। बरहाल कांग्रेस पार्टी के लिए अब ये आवश्यक हो गया है कि वह इस बात की जांच करें कि इतने वरिष्ठ और ईमानदार विधायक को इस्तीफा देने के लिए मजबूर क्यों होना पड़ा है?