ब्राह्मणों के सहारे 2022 में सत्ता को पाने की चाह रखने वाली मायावती ने एक बार फिर ब्राह्मण कार्ड खेल दिया है। 23 जुलाई 2021 से उत्तर प्रदेश के कई जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन किए जाएंगे। तो वहीं इस ब्राह्मण सम्मेलन की शुरुआत से पहले पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री नकुल दुबे ने यह ऐलान किया है कि विकरू कांड में आरोपी बनाई गई खुशी दुबे की रिहाई के लिए बहुजन समाज पार्टी उपयुक्त कानूनी लड़ाई लड़ेगी। खुशी कुख्यात विकास दुबे के भतीजे अमर की पत्नी है। बिकरू कांड के बाद पुलिस मुठभेड़ में दोनों ढेर कर दिए गए थे। आपको बता दें लंबे समय से ब्राह्मण समाज के द्वारा यह मांग की जा रही थी कि विकास दुबे और उसके साथियों को जो दंड मिलना चाहिए था वह मिल गया है। इसीलिए खुशी दुबे को रिहा कर देना चाहिए। लेकिन सरकार के द्वारा ऐसा नहीं किया गया। कहा जा रहा है कि बहुजन समाज पार्टी के कद्दावर नेता और ब्राह्मण चेहरा सतीश चंद्र मिश्रा खुद खुशी दुबे का मुकदमा लड़ेंगे।
अयोध्या में ब्राह्मण सम्मेलन की तैयारियों को अंतिम रूप देने पहुंचे नकुल दुबे ने कहा कि बिकरू कांड के बाद खुशी पर हत्या और आपराधिक साजिश समेत आईपीसी की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किए जाने के बाद उसके परिजनों ने कानपुर देहात की विशेष अदालत में हलफनामा पेश कर दावा किया था कि वह नाबालिग है। उसके अधिवक्ता ने भी दलील दी थी कि बिकरू कांड से महज तीन दिन पहले उसकी अमर से शादी हुई थी। इसलिए साजिश में उसकी कोई भूमिका नहीं है। इसके बाद भी आठ जुलाई 2020 से जेल में बंद खुशी को जमानत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकील और बसपा महासचिव सतीश मिश्र खुशी का केस लड़ेंगे और उसकी रिहाई की मांग करेंगे।
दूसरी तरफ खुशी दुबे के अधिवक्ता शिवकांत दीक्षित ने कहा, मुझे किसी पार्टी विशेष में दिलचस्पी नहीं है। खुशी दुबे की रिहाई की लड़ाई में यदि कोई हमारा साथ देना चाहता है तो उसका स्वागत है। हालांकि, मुझसे अभी तक किसी ने संपर्क नहीं किया है। उनका कहना है कि किशोर न्याय बोर्ड ने खुशी के नाबालिग होने की पुष्टि कर दी है। इसके बाद भी उसे जमानत नहीं मिली है।