महात्मा गांधी की परपोती को हुई सात साल की जेल, धोखाधड़ी केस में कोर्ट ने सुनाई सजा

दक्षिण अफ्रीका के डरबन में एक अदालत ने महात्मा गांधी की परपोती आशीष लता रामगोबिन को सात साल जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 6.2 मिलियन रैंड (अफ्रीकन मुद्रा) यानी करीब 3.22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में उनकी भूमिका के लिए दोषी पाया है।

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सांकेतिक चित्र

भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की परपोती को दक्षिण अफ्रीका में धोखाधड़ी के मामले में 7 साल जेल की सजा सुनाई गई है। ज़ी न्यूज़ के सहयोगी वेबसाइट Wion के मुताबिक उन्हें अदालत ने 6.2 मिलियन रैंड (अफ्रीकन करंसी) करीब 3.22 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और जालसाजी मामले में उनके किरदार के लिए मुजरिम पाया है।

खबर के मुताबिक महात्मा गांधी की पोती आशीष लता रामगोबिन ने यह धोखा एसआर महाराज के साथ किया है। 56 साल की आशीष लता को एसआर महाराज ने हिंदुस्तान में मौजूद एक कंसाइनमेंट के लिए आयात और सीमा शुल्क के तौर पर 6.2 मिलियन रैंड (अफ्रीकन मुद्रा) एडवांस में दिए थे। आशीष लता रामगोबिन ने उस मुनाफे में हिस्सेदारी देने की बात कही थी।

कौन है आशीष लता रामगोबीन

आशीष लता रामगोबिन महात्मा गांधी की परपोती व मशहूर एक्टिविस्ट इला गांधी और दिवंगत मेवा रामगोविंद की बेटी है, जिन्होंने दक्षिण अफ्रीका में अपने कार्यकाल के दौरान महात्मा गांधी द्वारा स्थापित फीनिक्स सेटलमेंट को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

2015 में लता रामगोबिन के खिलाफ मामले की सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय अभियोजन प्राधिकरण (NPA) के ब्रिगेडियर हंगवानी मुलौदजी ने कहा था कि “आशीष लता रामगोबिन ने संभावित निवेशकों को कथित रुप से जाली चालान और दस्तावेज दिए थे। जिसके जरिए वह निवेशकों को बता रहीं थीं की लिनन के तीन कंटेनर भारत से भेजे जा रहे हैं।”

एनपीए की प्रवक्ता नताशा कारा ने एक बयान में कहा, ” वह आयात लागत और सीमा शुल्क का भुगतान करने के लिए वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रही थी, और उसे बंदरगाह पर सामान खाली करने के लिए पैसे की जरूरत थी।” उसने एसआर महाराज से 6.2 मिलियन रुपये उधार देने के लिए कहा ताकि वह खेप को साफ कर सके।” उसे समझाने के लिए, उसने उसे दिखाया कि उसने जो दावा किया वह माल के लिए एक हस्ताक्षरित खरीद आदेश था। उस महीने के अंत में, उसने उसे एक नेटकेयर इनवॉइस और डिलीवरी नोट के रूप में इस बात के प्रमाण के रूप में भेजा की माल वितरित किया गया था और भुगतान आसान था, ”उसने नेटकेयर के बैंक खाते से पुष्टि भी भेजी की भुगतान किया जा चुका है। जैसा की रामगोबिन के पास अच्छी पारिवारिक साख और नेटकेयर दस्तावेज थे, महाराज धोखाधड़ी के शिकार हो गए और ऋण के लिए उनके साथ एक लिखित समझौता किया। बाद में, उसने पाया कि उसके द्वारा प्रदान किए गए दस्तावेज़ जाली थे, और उसने नेटकेयर के साथ कभी कोई व्यवस्था नहीं की थी।

बता दें कि एसआर महाराज की कंपनी लिनन कपड़े, फुटवियर समेत कई दूसरी चीजों का उत्पादन करती है। महाराज की कंपनी अन्य कंपनियों को भी समय-समय पर ब्याज पर पैसे देती है। इसी कड़ी में लता रामगोबिन ने महाराज से भी पैसे ले लिए और समय पर वापस नहीं किये। उसके बाद महाराज ने लता के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया।

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