दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की तरह महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार भी पब्लिसिटी के मामले में किसी से कम नहीं है। प्रदेश की व्यवस्था चाहे संभले या ना संभले लेकिन विज्ञापनों के जरिए चेहरा चमकाना दोनों सरकारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। एक्टिविस्ट अनिल गलगली ने DGI और पब्लिक रिलेशन से इसकी जानकारी मांगी थी। बताया गया है कि पिछले 16 महीनों में सरकार ने सिर्फ प्रचार के लिए 155 करोड़ खर्च किए हैं। इसमें भी सोशल मीडिया के जरिए प्रचार पर ज्यादा खर्च किया गया है।
अनिल गलगली की तरफ से ये जानकारी मांगी जा रही थी। यह जानने का प्रयास किया गया था कि जबसे महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार बनी है, प्रचार पर कितना खर्च किया गया है। अब सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय की तरफ से 11 दिसंबर 2019 से 12 मार्च 2021 तक के आंकड़े अनिल के सामने आ चुके हैं। बताया गया है कि साल 2019 में राज्य सरकार की तरफ से प्रचार पर 20.31 करोड़ खर्च किए थे। वहीं इसमें भी 19.92 करोड़ तो टीकाकरण के प्रचार पर खर्च किए गए थे।
2021 में राज्य सरकार की तरफ से 104.55 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। इसमें 5.96 करोड़ तो महिला दिवस के मौके पर ही खर्च हुए, 9.99 करोड़ पदम डिपार्टमेंट पर, 19.92 करोड़ NHM के प्रचार पर और विशेष प्रचार अभियान पर 22.65 करोड़ खर्च कर दिए गए थे। सोशल मीडिया को लेकर कहा जा रहा है कि सरकार की ओर से 1.15 करोड रुपए सोशल मीडिया पर विज्ञापनों पर खर्च किए गए। दूसरे विभागों को लेकर भी इसी प्रकार का खर्चा पब्लिसिटी में किया गया है।
ज्यादा भी हो सकता है आंकड़ा
RTI कार्यकर्ता अनिल गलगली बताते हैं कि ये आंकड़ा 155 करोड़ से सभी ज्यादा हो सकता है। अनिल की माने तो DGI के पास भी सारे आंकड़े नहीं रहते हैं, ऐसे में प्रचार पर और ज्यादा रुपये खर्च किए गए होंगे। वहीं उन्होंने इस बात पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं कि ‘क्रिएटिव’ के नाम पर कई और दूसरे खर्चे भी किए गए हैं जिसकी स्पष्ट जानकारी नहीं दी जा रही है। उनकी तरफ से मांग हुई है कि विभागीय स्तर पर होने वाले तमाम खर्चों को राज्य सरकार अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया जाये।