सत्ता के नशे में चूर महाराष्ट्र सरकार और कंगना के पलटवार

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कंगना और संजय राऊत के बीच का विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद न्याय की मांग करने के लिए कंगना रनौत ने वामपंथी, मूवी माफियाओं और सीधे तौर पर मुंबई पुलिस से विवाद मोल ले लिया। हिट फिल्में करने वाली कंगना रनौत को क्या आवश्यकता थी सुशांत सिंह राजपूत के लिए मांग करने की? बहुत सारे आउटसाइड अभी तो शांत बैठे हैं कंगना रनौत को भी शांत बैठ जाना चाहिए था? कुछ ऐसे ही सवाल हमारे जहन में भी उठ रहे होंगे। लेकिन आप सभी को यह सोचना होगा कि मध्यमवर्गीय परिवार से आने वाले एक युवक की आत्महत्या में शामिल लोगों को छुपाने के लिए महाराष्ट्र सरकार करतब दिखा रही थी! आज कुछ लोगों का विरोध करने वाली कंगना के ऑफिस पर बुलडोजर चलाकर वो क्या साबित करना चाहती है?

लेकिन इस पूरे विवाद को समझने के लिए आपको सबसे पहले कंगना और संजय रावत के बीच हुई नोकझोंक का सामना करना होगा! देखिए यह जुबानी जंग कैसे दुश्मनी में परिवर्तित हो गई?

सुशांत की आत्महत्या मामले में कंगना का सक्रिय होना

कुछ दिनों पहले सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या मामले में न्याय मांगते हुए। कंगना काफी आक्रामक हो गई थी। और उन्होंने सीधे तौर पर मुंबई, मुंबई पुलिस तथा महाराष्ट्र सरकार को निशाने पर ले लिया था। उन्होंने 3 सितंबर 2020 को अपने ट्वीट में यह भी कहा था कि आप मुझे मुंबई पाक अधिकृत कश्मीर की तरह लगती है। इसके बाद मुंबई में कंगना का काफी विरोध होने लगा। इस पूरे मामले ने राजनीतिक रंग भी ले लिया भाजपा ने भी कंगना का विरोध किया। वास्तव में भारत के किसी भी हिस्से का अपमान करने का अधिकार किसी भी भारतीय नागरिक को नहीं है। इसके बाद पार्टी प्रवक्ता संजय ने कहा था कि अगर मुंबई प्रयोग के जैसा है तो उन्हें यहां नहीं आना चाहिए था उन्होंने इसके अलावा यह भी कहा अगर वह पीओके जाना चाहती हैं तो खर्चा हम देंगे।

मुझे मुंबई POK जैसी लगती है: कंगना

लेकिन इस पूरे मामले में नया रंग तब ले लिया जब शिवसेना के नेता संजय राउत ने कंगना के खिलाफ एक ऐसी भाषा का प्रयोग किया जिसका प्रयोग किसी भी महिला के लिए करना। आप सोच रहे होंगे कि संजय राउत ने कंगना के लिए ऐसा क्या कह दिया? सबसे पहले संजय राऊत ने कंगना को मुंबई ना आने की सलाह दी और कंगना ने कहा था कि मुझे संजय राउत ने यह धमकी दी है कि मैं मुंबई ना आऊ। और उसके बाद संजय राउत ने एक व्यक्तिगत चैनल को इंटरव्यू देते हुए कंगना रात को हरामखोर कहा था। एक महिला के प्रति किसी व्यक्ति की ऐसी भावना उसके चरित्र और उसकी सोच को प्रदर्शित करती है। लेकिन इसके बाद भी न तो शिवसेना ने इस पर माफी मांगी और ना ही संजय राउत ने।

कंगना को मिली Y+सिक्योरिटी

कल 9 सितंबर 2020 को जब गृह मंत्रालय ने कंगना और संजय के बीच बढ़ते विवाद को देखते हुए कंगना को वाई श्रेणी की सिक्योरिटी देने का निश्चय किया। तब यह पूरा मामला एक और रास्ते पर चला गया। शिवसेना के मुखपत्र सामना में कंगना और पत्रकार अर्नब गोस्वामी के खिलाफ कई प्रमुख बातें कही गई। तुम ही केंद्र सरकार के Y+ सिक्योरिटी देने वाले निर्णय पर भी सवाल उठाया गया। लगातार कंगना को यह धमकी दी जा रही थी कि उन्हें मुंबई में घुसने नहीं दिया जाएगा।

सत्ता का दुरूपयोग, लोकतंत्र की हत्या

लेकिन यह मामला यहीं नहीं थमा अचानक बीएमसी ने कंगना के ऑफिस पर छापा मारा और 9 सितंबर 2020 की दोपहर में उस पर बुलडोजर चलाने का काम भी कर दिया यानी कंगना जब तक मुंबई नहीं पहुंची तब तक उनके ऑफिस को ध्वस्त करने की पूरी तैयारी हो चुकी थी। इसके बाद कंगना हाईकोर्ट पहुंच गई और हाई कोर्ट ने बीएमसी की अगली कार्रवाई तक रोक लगा दी मामले में अगली सुनवाई गुरुवार 3:00 बजे होगी।

‘उद्धव ठाकरे ‘ कल तेरा घमंड टूटेगा

कंगना रनौत कुछ समय बाद अपने घर पहुंची और घर पहुंचने के बाद उन्होंने एक वीडियो शेयर करते हुए महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को चुनौती देते हुए कहा, ” आज मेरा घर टूटा है !…कल तेरा घमंड टूटेगा!.. जय महाराष्ट्र !..उद्धव ! ठाकरे तुझे क्या लगता है तूने फिल्म माफिया के साथ मिलकर मेरा घर तोड़कर मुझसे बहुत बड़ा बदला लिया है? तुमने बहुत बड़ा एहसान किया है मुझे पता तो था कि कश्मीरी पंडितों पर क्या बीती होगी? आज मुझे एक बात का एहसास भी हो गया आज मैं आपको एक वादा करती हूं !..मैं सिर्फ अयोध्या पर ही नहीं, कश्मीर पर भी एक फिल्म बनाऊंगी !..अपने देश को लोगों को जल आऊंगी ठाकरे योजक क्रूरता और आतंक मेरे साथ हुआ है उसका मायने हैं जय हिंद जय भारत!!”

प्रतिक्रिया

इस मामले पर बहुत सारे नेताओं ने अपने अपने हिसाब से प्रतिक्रिया दी है।

1. भारतीय जनता पार्टी ने निशाना साधा है कि जिस तरह बीएमसी ने कंगना के ऑफिस पर कार्रवाई की है ठीक उसी प्रकार और अवैध कब्जे वाले स्थानों पर कार्रवाई करनी चाहिए।

2. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा किसी ने आप के खिलाफ बात कही, इसलिए अगर आप तब कार्यवाही करते हो तो यह कायरता है बदले की भावना है महाराष्ट्र में इस तरह की भावना का कोई सम्मान नहीं हो सकता।

3. महाराष्ट्र के मंत्री नितिन राउत ने कहा कंगना रनौत एक अच्छी अभिनेत्री हैं। उनकी बयान बाजी को महत्व देना मुनासिब नहीं है. उन को हिदायत देना चाहता हूं कि आप अपना काम अच्छे से करें पचड़े में न पड़ें। महाराष्ट्र मुंबई ने उन्हें शोहरत दी है जिस माटी ने उन्हें सम्मान दिया है उस माटी की इज्जत रखनी चाहिए।

4. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रमुख रामलाल ने कंगना के बचाव में ट्वीट करते हुए लिखा है असत्य के हथौड़े से सत्य की नींव नहीं मिलती।

5. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने मुंबई में कंगना के कार्यालय पर की गई बीएमसी की कार्रवाई पर कड़ा एतराज जताया है। जयराम ठाकुर ने कहा है कि महाराष्ट्र सरकार का आचरण दुर्भाग्यपूर्ण है। कंगना ने सिर्फ आवाज बुलंद की थी। जिस पर प्रतिशोध की भावना से यह कार्रवाई की गई है ठाकुर ने यह भी कहा कि शिवसेना ने अपना वजूद ही खत्म कर लिया है। जिस विचारधारा के लिए पार्टी जानी जाती थी उस विचारधारा से बुरी तरह भड़क चुकी है।

निष्कर्ष

अब यदि हम इस पूरे मामले को समझने के बाद विचार करें कि क्या महाराष्ट्र सरकार के निर्देशों पर बीएमसी द्वारा किया गया यह कृत्य उचित है? तो निश्चित रूप से इसका उत्तर होगा नहीं! आपने एक अभिनेत्री के ऑफिस पर केवल इसीलिए बुलडोजर चलवा दिया क्योंकि उसने आपकी खिलाफत की !..आप की सरकार के खिलाफ बोला!.. बॉलीवुड के उन माफियाओं के खिलाफ बोला जिनके कारण न जाने कितने मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चे सफल नहीं हो पाते!… क्या इन सभी बातों पर बोलना कोई गैरकानूनी काम है? किसी व्यक्ति की अनुपस्थिति में आपने उसके ऑफिस पर बुलडोजर चलवा दी यह किस प्रकार की कानूनी कार्रवाई है?

कितना अच्छा होता अगर महाराष्ट्र सरकार इसी तरह से सुशांत सिंह राजपूत के मामले में छानबीन करके सुशांत के हत्यारों को कड़ी से कड़ी सजा दिलवा देती?

कितना अच्छा होता कंगना के ऑफिस को क्षत-विक्षत करने से अच्छा होता कि बीएमसी मुंबई की सड़कों को ठीक करती?

कितना अच्छा होता प्रवासी श्रमिक मजदूरों को मुंबई से उनके प्रदेशों में नंगे पैर चलने के लिए मजबूर करने वाली, महाराष्ट्र सरकार यदि उनके लिए बसों का इंतजाम करती?

कितना अच्छा होता यदि महाराष्ट्र सरकार ने कोरोना संक्रमण पर काबू पाने के लिए प्रयास करती?

लेकिन कहते हैं ना कि सत्ता के अहंकार में व्यक्ति अंधा हो जाता है। उसे ना तो अपनी जनता की समस्याएं दिखाई देती है और ना ही जनता का आक्रोश! शिवसेना कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के गठबंधन से बनी सरकार ने केवल कंगना का ऑफिस नहीं तोड़ा है। बल्कि उन मध्यमवर्गीय परिवारों से गए हुए बच्चों के हौसले को तोड़ने का प्रयास किया है, जो कभी यह सोचते हैं कि हम अपनी ताकत के बल पर हम अपने अनुभव के बल पर मुंबई में कोई बड़ा काम करेंगे। इस पूरे घटनाक्रम से केवल यह माना जा सकता है कि सरकार के खिलाफ बोलने का दंड कंगना रनौत को दिया गया! और एक महिला का अपमान करने वाले संजय राऊत का पार्टी में प्रमोशन कर दिया गया। छत्रपति शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र में एक महिला के साथ हो रहा यह पूरा घटनाक्रम निश्चित रूप से महाराष्ट्र के लिए बहुत शर्मनाक है।

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