चित्रकूट में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को महंत रामभद्राचार्य ने दिए निर्देश, संघ को सुझाए सात प्रमुख मुद्दे

चित्रकूट में आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की बैठक का आखरी दिन है। ऐसा कहा जा रहा है कि इस बैठक के पश्चात सरकार भी कई बड़े निर्णय ले सकती है।

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पश्चिम बंगाल में चुनाव हारने के बाद और उत्तर प्रदेश तथा अन्य चार प्रमुख राज्यों के आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ लगातार चित्रकूट में बैठक कर रहा है। आज चित्रकूट में बैठक का आखिरी दिन है। ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस मीटिंग के बाद केंद्र सरकार के द्वारा कई प्रमुख निर्णय लिए जा सकते हैं। मीटिंग से पहले 7 जुलाई को रामभद्राचार्य से मिलने को खुद संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत गए थे। सरसंघचालक मोहन भागवत को रामभद्राचार्य ने कई प्रमुख मुद्दे सुझाए थे। जिन पर संघ आगे कार्य कर सकता है।

  • रामभद्राचार्य के द्वारा यह कहा गया है कि भारत के नक्शे में पूरा कश्मीर जोड़ना चाहिए आधा अधूरा कश्मीर नहीं। इसीलिए जल्द से जल्द जम्मू कश्मीर का परिसीमन हो।
  • उत्तर प्रदेश में धर्म परिवर्तन को लेकर लगातार नए मामले सामने आ रहे हैं और इन मामलों पर कार्रवाई भी की जा रही है। उनका कहना है कि राष्ट्रीय स्तर पर भी इस तरह का कोई कानून बनाया जाए जिससे धर्म परिवर्तन पर रोक लगे।
  • रामभद्राचार्य का मानना है कि देश में मुस्लिम समाज की आबादी बढ़ती जा रही है अपेक्षाकृत हिंदू समाज के…. इसीलिए देश में जल्द से जल्द एक जनसंख्या नियंत्रण कानून लाया जाए जिससे देश की जनसंख्या संतुलित रहे।
  • संत रामभद्राचार्य के द्वारा समान नागरिक संहिता पर कानून बनाने का परामर्श भी संघ के लोगों को दिया गया है। उनका कहना है कि देश में कोई व्यक्ति कोई भी धर्म क्यों ना मानता हो परंतु देश में एक कानून होना चाहिए।
  • रामभद्राचार्य ने गोवध के मुद्दे को लेकर भी सरसंघचालक से बात की। संत का कहना है कि गाय को हिंदू मां की तरह पूजते हैं ऐसे में उसकी हत्या होना बिल्कुल गलत है।
  • हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का मामला भी संत के द्वारा संचालक के सामने उठाया गया है। और यह मांग काफी सालों से की जाती रही है कि जब हिंदी को बोलने वाले आठ से 9 राज्य देश में हैं तो फिर हिंदी को राष्ट्रभाषा क्यों नहीं बनाया जाता?
  • जगतगुरु का यह भी कहना है कि जल्द से जल्द रामायण को भारत का राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित कर देना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान राम के आदर्शों पर चलकर ही भारत विश्व गुरु बन सकता है। और हमें अपने साहित्य का सम्मान करना ही चाहिए।

जगदगुरू रामभद्राचार्य इन सभी मुद्दों को लेकर काफी कुछ दिखाई दे रहे हैं उनका कहना है कि मैंने अपने सभी मुद्दे सरसंघचालक के सामने रख दिए हैं। अब यह मामले चर्चा के विषय बनेंगे या नहीं यह तो वे ही लोग जानते हैं। लेकिन अगर मैं प्रधानमंत्री से कोई बात कहूंगा तो वे मेरी बात टालेंगे नहीं।

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