बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपनी ताल ठोक रही है। एक तरफ महागठबंधन और दूसरी तरफ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन अपनी तरह से बिहार की जनता को लुभाने की कोशिश कर रहा है। इस समय बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के काम पर और नीतीश कुमार के चेहरे पर वोट मांगा जा रहा है। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन ने प्रधानमंत्री मोदी के काम को बिहार के जन जन तक पहुंचाने के लिए वर्चुअल रैलियां भी शुरू कर दी है जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी के सभी बड़े नेता प्रधानमंत्री मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस चुनाव प्रचार में जुट गए हैं। वहीं दूसरी तरफ लगातार महागठबंधन को एक पर एक झटका मिलता जा रहा है, आरजेडी के सभी बड़े नेता आरजेडी का दामन छोड़ चुके हैं। इन्ही दिनों लालू प्रसाद के हनुमान कहे जाने वाले रघुवंश प्रसाद दुनिया को विदा कह गए, पर अपने प्राण छोड़ने से पहले उन्होंने आरजेडी से इस्तीफा दे दिया था, यह माना जा रहा था कि बे भी अब जेडीयू में शामिल हो सकते थे ।
लेकिन दूसरी तरफ अभी एक खबर आ रही है कि सीटों के बंटवारे को लेकर महागठबंधन में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। अब तक चली बातचीत में किसी भी प्रकार का कोई नतीजा नहीं देखने को मिल रहा है। बल्कि सहयोगी दलों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। कुछ दिनों पहले ही जीतन राम मांझी ने महागठबंधन को अलविदा कह दिया था और अपने पुराने साथी नीतीश कुमार के साथ आ गए थे। वहीं अब यह लग रहा है कि महा गठबंधन के प्रमुख सहयोगी उपेंद्र कुशवाहा भी बाहर जाने की तैयारी में है। उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने कल पटना में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी और अन्य पदाधिकारियों की बैठक बुलाई थी। बैठक में बिहार की वर्तमान राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की गई सूत्रों के अनुसार बताया जा रहा है कि पार्टी महागठबंधन छोड़ने पर फैसला ले सकती है। सूत्रों के अनुसार सीटों के बंटवारे पर सही बात न बनने पर पार्टी गठबंधन का साथ छोड़ देगी।
पार्टी के प्रधान महासचिव माधवानंद ने एबीपी न्यूज़ से कहा था, “पहली बात यह है जो बात अब तक नहीं बन पाई अगले कुछ दिनों में कैसे बन पाएगी? अब जल्द ही आचार संहिता लगने वाली है। ” माधवानंद की यह बात निश्चित रूप से खुलासा तो नहीं करती की उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी दोबारा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ आएगी लेकिन निश्चित रूप से यह भी नहीं लग रहा है कि अब महागठबंधन के साथ रहकर भी उपेंद्र कुशवाहा की दाल गल पायेगी।
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