कांग्रेस पार्टी के भीतर की कलह अभी समाप्त होने का नाम नहीं ले रही है। पिछले साल अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से निष्कासित किए गए कई नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से सोनिया गांधी से अनुरोध किया है कि वे पार्टी को लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा करते हुए चलाएं। निष्कासित नेताओं में से पूर्व सांसद संतोष सिंह और पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी समेत नौ नेताओं ने दो सितम्बर को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में कहा कि पंडित जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी ने लोकतांत्रिक मूल्यों और विचारधारा के साथ कांग्रेस और देश को बनाया है, लेकिन विडम्बना यह है कि पिछले कुछ समय से पार्टी जिस तरह से चल रही है, उसके कारण कार्यकर्ताओं में असमंजस की स्थिति बन गई है।
लगातार कांग्रेस में ऐसा देखा गया है कि गांधी-नेहरू परिवार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लोगों को या तो पार्टी से निष्कासित कर दिया जाता है या उनसे पार्टी में सक्रिय भूमिका छीन ली जाती है। यही कारण है कि कांग्रेस के अध्यक्ष चुनाव में कांग्रेस की ओर से कोई भी व्यक्ति सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के पर के नाम पर असहमत होकर पार्टी में नहीं रह सकता।
पत्र में सोनिया गांधी से कहा, “आप परिवार के मोह से ऊपर उठकर परंपराओं के अनुसार विचारों की अभिव्यक्ति के साथ-साथ पार्टी के संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की बहाली और परस्पर विश्वास तथा संवाद कायम कर संगठन को चलाएं। अगर आप अपने दायित्व से विमुख होती हैं तो कांग्रेस इतिहास की वस्तु बन जाएगी। आज देश में कांग्रेस संवादहीनता, अनिर्णय, अनिश्चय और आंतरिक लोकतंत्र तथा विचारों की अभिव्यक्ति के अभाव में अपने अस्तित्व के संकट के कठिन दौर से गुजर रही है।”
पिछले साल नवम्बर में पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, रामकृष्ण द्विवेदी, पूर्व सांसद संतोष सिंह, पूर्व विधायक भूधर नारायण मिश्र, विनोद चौधरी, नेक चंद्र पाण्डेय, पूर्व विधान परिषद सदस्य सिराज मेंहदी, युवक कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रकाश गोस्वामी और वरिष्ठ नेता राजेन्द्र सिंह सोलंकी तथा संजीव सिंह को पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया गया था।