प्रधानमंत्री मोदी की कैबिनेट में महापरिवर्तन हो चुका है। नए मंत्री भी अपने कार्यालय पहुंचकर अपने दायित्व संभाल रहे हैं। लेकिन अब सवाल ये उठता है कि जिन नेताओं की छुट्टी मंत्रिमंडल से हुई है उनका क्या होगा? क्या वे ख़ामोशी से सब कुछ देखते रहेंगे? नहीं…ऐसा कहा जा रहा है कि जल्द ही उन नेताओं को भारतीय जनता पार्टी के संगठन में उचित दायित्व दिया जा सकता है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भाजपा के संसदीय बोर्ड में 5 पद खाली हैं। हिंदुस्तान अख़बार के अनुसार पार्टी की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली इकाई भाजपा संसदीय बोर्ड में पांच रिक्तियां हैं। अरुण जेटली, सुषमा स्वराज और अनंत कुमार के निधन और एम वेंकैया नायडू के उपराष्ट्रपति बनने और थावर चंद गहलोत के कर्नाटक के राज्यपाल बनने की वजह से ये सभी पद खाली हुई हैं। इन्हीं पदो पर नेताओं को बैठाया जा सकता है। माना जा रहा है कि इस संसदीय पैनल में किसी दलित नेता को भी जगह दी जा सकती है।
मोदी कैबिनेट से हटाये गए प्रकाश जावड़ेकर, सदानंद गौड़ा, हर्षवर्धन और रमेश पोखरियाल निशंक को भी भाजपा संगठन में काम दिया जा सकता है। कहा जा रहा है कि मंत्री बनने से पहले हर्षवर्धन मुख्य रूप से भाजपा की दिल्ली इकाई में सक्रिय रहे हैं और फिर से उन्हें राजधानी भेजा जा सकता है। यूपी में भाजपा के प्रमुख कुर्मी चेहरे के रूप में संतोष गंगवार को राजभवन में भेजा जा सकता है। जिससे कुर्मी वोटर्स भाजपा की ओर ही रहें। आपको बता दें कैबिनेट विस्तार के कारण मंत्रिमंडल से बाहर हुए नेताओं में रविशंकर प्रसाद, डॉ हर्षवर्धन, प्रकाश जावड़ेकर, संतोष गंगवार, रमेश पोखरियाल निशंक, सदानंद गौड़ा, बाबुल सुप्रियो, देबश्री चौधरी, संजय धोत्रे, रतनलाल कटारिया और प्रतापचंद सारंगी शामिल हैं। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा, गुजरात और हिमाचल प्रदेश में जहां 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं वहां भी कुछ नेताओं को भेजा जा सकता है।